Prachin Bharatiya Kala Evam Vastu / प्राचीन भारतीय कला एवम् वास्तु (प्रारम्भिक काल से लेकर 300 ई. तक)
Author
: Prithvi Kumar Agrawal
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2014
ISBN
: 9789351460015
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xx + 468 Pages + 24 Plates, Biblio., Size : Crown Octavo i.e. 25 x 18.5 Cm.

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कला के विकास की भारतीय परम्परा का इतिहास अति प्राचीन है। ताम्रप्रस्तर-युगीन सैन्धव सभ्यता से लेकर ऐतिहासिक संस्कृति के कालक्रम में इस देश की कलाधारा अपने अजस्र प्रवहमान स्वरूप की साक्षी है। वैदिक कालीन साहित्य में प्रतिबिम्बित कलात्मक विचारों तथा क्रिया-कलापों के लिए पुरातात्त्विक प्रमाणों का अभी अभाव है। तो भी, उसी परम्परा का आगामी प्रस्फुटन शैशुनाग-नन्द, मौर्य, शुंग, आन्ध्र-सातवाहन, शक-कुषाण, गुप्त आदि राजवंशों के युगों के भवन-निर्माणों, स्मारकों एवं कलाओं के बहुमुखी उन्नयन में देखा जाता है। इन सभी कालखण्डों के लिए प्राप्त सामग्री अत्यन्त विस्तृत तथा व्यापक है। प्रस्तर-शिल्प, मृन्मय शिल्प, धातु-शिल्प, चित्रकला, अलंकरण-आभूषण, मणि-शिल्प, दंत-शिल्प, काष्ठ-शिल्प की विविध शैलियों के अध्ययन के लिए साक्ष्यों का न केवल साहित्यिक प्रत्युत पुरातात्त्विक संभार भी बहुमुखी और बहुमूल्य है। संस्कृति के विविध पक्षों में भौतिक स्तर पर हुई उपलब्धियों और तत्सम्बन्धी आदर्शों की समकालिक अभिव्यक्ति जानने-परखने के लिए कला अप्रतिम साधन है