Vetal Pachisi (25 Stories told to Raja Trivikramsen by Vetal) / वेताल पचीसी (वेताल द्वारा राजा त्रिविक्रमसेन को कही गई पच्चीस कहानियाँ)
Author
: Shriranjan Surideva
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2007
ISBN
: 8189498118
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: vii + 136 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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वेताल पच्चीसी
राजन! आपने, अन्यों के लिए दुष्कर कार्य सम्पन्न करके मुझपर बहुत बड़ा अनुग्रह किया है। आप जैसा कोई कहाँ है और इस तरह प्रयत्न करनेवाला भी कोई कहाँ है? और फिर, इस प्रकार का न तो देश है, न ही समय। सचमुच ही आपको सत्कुलोत्पन्न राजाओं मेंं प्रमुख कहा जाता है, जो स्वार्थ की अपेक्षा परार्थ की साधना में संलग्न रहते हैं। महान पुरुषों की यही महत्ता है कि वे स्वीकृत कार्य को प्राणपण से पूरा करते हैं। राजन! आप यहाँ मन्त्रशक्ति के द्वारा अधिष्ठिïत देवता-विशेष को आठों अंगों से गिरकर प्रणाम (साष्टïांग प्रणाम ) करें। इससे यह वर देनेवाला देवता आपको अभीष्ट की सिद्धि प्रदान करेगा।-क्षान्तिशील भिक्षु भगवन् ! मैं इस प्रकार की विधि नहीं जानता हूँ। इसलिए पहले आप यह विधि करके दिखायें, तब मैं वैसा करूँगा। भिक्षु ज्यों ही प्रणाम की विधि दिखलाने के लिए जमीन पर पड़ा, त्यों ही राजा ने खड्ग के प्रहार से उसके शिर को काट डाला और उसके ह्दय-कमल के भी दो टुकड़े कर दिये। उसके बाद राजा ने कटे हुए सिर और ह्दय-कमल वेताल को दे दिये। हे योगीन्द्र! यदि आप प्रसन्न हैं तो कौन ऐसा अभीष्ट वर है, जो प्राप्त न हो ? तथापि अमोघ वचन के धनी आपसे मेरी यह प्रार्थना है कि अनेक प्रकार के आख्यानों से मनोरम आपकी ये चौबीस प्रश्नकथाएँ पच्चीस कथाओं में पूर्ण होती हैं। ये कथाएँ समस्त भूमण्डल में प्रसिद्ध और पूजनीय हों। राजा त्रिविक्रिम सेन राजन! एवमस्तु (ऐसा ही हो)! यहाँ विशेष रूप से मैं जो कहता हूँ, उसे सुनें—ये कथाएँ कामदायिनी हैं। जो इसके अंशमात्र को भी कहेगा या सुनेगा, वह तत्क्षण पापमुक्त हो जायगा। जहाँ भी ये कहानियाँ कही जायेंगी, वहाँ यक्ष, राक्षस, डाकिनी, वेताल, कुष्माण्ड, भैरव राक्षस आदि का प्रभाव नहीं पड़ेगा।—वेताल