Rashtriyata Ka Tulnatmak Pariprekshya / राष्ट्रीयता का तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य
Author
: Sudarshan Panda
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 1996
ISBN
: 8171241603
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 112 Pages, Biblio., Size : Demy i.e. 22.5 x 14 Cm.

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आज के विश्व में संत्रासवाद का आतंक फैल रहा है। अपने देश में तो प्रादेशिकता अलगाववाद का दावा तक पेश किया जा रहा है। स्वतंत्रता-प्राप्ति की अद्र्ध शताब्दी पूरी नहीं हुई है कि क्षेत्रीयता का शीतयुद्ध शुरू हो गया। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीयता को फिर से परखने के लिए इतिहास के पन्ने पलटने चाहिए। भारत जैसे बहुभाषी देश में तुलनात्मक साहित्य का महत्व स्वीकृत हो चुका है। प्रांतीयता से उत्पन्न अलगाववाद के खिलाफ तुलनात्मक साहित्य ही लड़ सकता है। प्रस्तुत अध्ययन में भारत में राष्ट्रीय भावना के उद्गम तथा विकास का स्वरूप तो स्पष्ट हुआ ही है, इसे एकअंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य भी मिल गया है। साहित्य सार्वभौम, सार्वकालिक तथा सार्वजनिक होता है, यह कथन प्रस्तुत ग्रंथ द्वारा अधिक पुष्ट हुआ है।