Hindi Sahitya : Vividh Paridrishya / हिन्दी साहित्य : विविध परिदृश्य
Author
: Sadanand Prasad Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242571
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 156 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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हिन्दी निबंध विधा यद्यपि एक विशेष ढर्रे में प्रतिमानीकृत हो गयी है, उसका सकारात्मक पक्ष यह है कि उसमें भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का निजत्व सुरक्षित है। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास, साहित्य एवं संस्कृति के अन्वेषण के बहाने उसे विकृत करने का कम प्रयास नहीं किया। दुर्भाग्य से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी इस विकृति से हम पूर्णतया मुक्त नहीं हो पाये हैं। उपभोक्तावाद के दौर में आज अपनी संस्कृति, परम्परा, भाषा—सबके प्रति हीनता का भाव है, ऐसे में निबंध-साहित्य में भारतीय जीवन मूल्यों के प्रति व्यक्त निष्ठïा महत्त्वपूर्ण है। आज की त्रासदी यह है कि वर्तमान सर्जनात्मक एवं आलोचनात्मक साहित्य पर उपभोक्तावाद और पश्चिमीकरण की प्रवृत्ति का जबर्दस्त प्रभाव है, जो आत्मघाती है। इससे मुक्त हुए बिना स्वत्व समपन्न, स्वाभिमानयुक्त समर्थ राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। इन लेखों में इस ओर किंचित् प्रयास किया गया है। विषय-क्रम, १. हिन्दी-पत्रकारिता का उद्ïभव-काल,, २. भारतेन्दु युगीन हिन्दी-पत्रकारिता, ३. द्विवेदी-युगीन हिन्दी-पत्रकारिता, ४. धार्मिक पत्रकारिता के संदर्भ में 'कल्याण' की भूमिका, ५. भारतेन्दु के निबंध साहित्य में प्रगतिशील चेतना, ६. आचार्य द्विवेदी के निबंध और उनका व्यक्तित्व, ७. आचार्य द्विवेदी के निबंध और उनका संस्कृति-चिंतन, ८. स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी निबंध-साहित्य की दिशा, ९. युग-चेतना और प्रसाद गद्य-साहित्य, १०. कहानी शिल्प की बदलती मान्यताएँ, ११. दृश्य संचार माध्यम और साहित्य, १२. समसामयिक चुनौतियाँ और साहित्य, १३. भगवतीप्रसाद सिंह का जीवनी साहित्य, १४. भारतीयता और निराला का काव्य, १५. गिरिजाकुमार माथुर का काव्य संसार।