Karnataka Sangeet Paddhati / कर्नाटक संगीत पद्धति
Author
: R.V. Kavimandan
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Music, Dance, Natyashastra etc.
Publication Year
: 2012
ISBN
: 9788171248520
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xxviii+ 76 Pages, Size : Royal Octavo i.e. 23.5 x 16 Cm.
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कर्नाटक संगीत अथवा दक्षिण भारतीय संगीत एक बड़ी वैज्ञानिक कला है। इसकी बारीकियों से जो भी अवगत हो जाए, वह संसार के अन्य किसी भी प्रकार के संगीत पर आसानी से प्रभुत्व प्राप्त कर सकता है। कर्नाटक संगीत अगर कृति-प्रधान है तो, हिन्दुस्तानी संगीत अथवा उत्तर भारतीय संगीत श्रुति-प्रधान है। अर्थात् कर्नाटक संगीत में कृतियों (प्रतिपादित की जाने वाली रचनाएँ) का बाहुल्य और वैविध्य है। यहाँ 'मातु' (कृतियों का साहित्य) और 'धातु' (संगीत सामग्री) को समान प्रधानता दी जाती है। हजारों रागों के साथ-साथ सैकड़ों तालों से भरपूर इस संगीत की परम्परा और सम्पत्ति अपार और महत्त्वपूर्ण है। भाव, राग और ताल के अपूर्व और परम-पवित्र संगम से रसिक महाजन पुनीत हो जाते हैं। गायन के अलावा अनेक वाद्यों पर इस संगीत की प्रस्तुति श्रोताओं की बुद्धि और हृदय पर अमिट प्रभाव डालने में सक्षम है।
कर्नाटक संगीत की कला और तंत्र दृढ़ और निश्चित सिद्धान्तों और तत्त्वों पर आधारित हैं। उसकी संरचना, चलन, अलंकारिता आदि प्रत्येक अंश सकारण और सतर्क है। 'गमक' (नाद अथवा स्वर-सृष्टि को अलंकृत करनेवाला तत्त्व) इस संगीत की आत्मा है। उसकी विविधता और प्रभाव ध्याननीय है। प्रतिभाशाली कलाकार अपनी विशिष्ट और सपरिश्रम साधना एवं परमात्मा और गुरु के कृपाशीर्वाद से अगाध और अपार 'मनोधर्म' (संगीत कल्पना) को प्राप्त कर लेता है। गम् भीर और गहन 'मनोधर्म' सुन्दर और आकर्षक संगीत सृष्टि कर सकता है।