Soundaryalahari : Tantra-Drishti aur Soundarya-Srishti / सौन्दर्यलहरी : तन्त्र-दृष्टि और सौन्दर्य-सृुष्टि
Author
: Prabhu Dayal Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2012
ISBN
: 9788171248957
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxxii + 96 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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सौन्दर्यलहरी : तन्त्र-दृष्टि और सौन्दर्य-सृष्टि
शक्तिमान शिव शक्ति से अपृथक हैं, किन्तु उनके सत्य का प्रकटीकरण शिवा के सौन्दर्य निरूपण से ही किया जा सकात है। भारतीय प्रज्ञा का यह एक चमत्कार ही है कि यह अनुष्ठान आदि शंकर के द्वारा सम्पन्न किया गया जो स्वयं अद्वैत मत और निर्गुणोपासना के प्रवर्तक थे। आदि शंकर की यह बहश्रुत, बहुपठित और सर्वसिद्ध कृति सर्वत्र समादृत है। इसका दार्शनिक और साहित्य पक्ष जहाँ इनकी मुख्य धाराओं के प्रतिमान बनाता है, वहीं इसकी अनुष्ठान क्षमता साधकों के लिये लोक और परलोक का मार्ग प्रशस्त करती है। श्री प्रभुदयाल मिश्र योग और शक्तिपात में दीक्षित तथा वैदिक साहित्य के अन्वेषक-अध्येता हैं। उनकी 'सौन्दर्यलहरी-काव्यानुवाद' मध्यप्रदेश संस्कृत अकादमी द्वारा 'व्यास सम्मान' से अलंकृत है। इस कृति को जहाँ मूर्धन्य विद्वानों ने सराहा है, वहीं यह अनेक साधकों की 'पूजा का पर्याय' बनी हुई है। लेखक ने इस कृति के इस 'विशेष संस्करण' का कलेवर पुस्तक के दर्शन, तंत्र और साहित्य पक्ष को अक्षुण्ण रखते हुए तैयार किया है। आदि शंकर ने आद्याशक्ति की दोनों आँखों के कानों के निकट पहँचने (विशालाक्षी) को उनकी 'वेद की कविता' के रस-पान की आकांक्षा का प्रतीक बनाया गया है। शांकर दिग्विजय का वाराणसी सिंह द्वार थी। अत: वाराणसी में 'विशालाक्षी' से परा-विद्या का यह प्राकट्य बहुज्ञ पाठकों को इस शाश्वत रस-गंगा में अवश्य सराबोर करेगा। पुस्तक में यन्त्र और उनके प्रयोग भी दिये गये हैं।