Mana Ka Hirna / मन का हिरना (गीत-संकलन)
Author
: Giridhar Karun
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2007
ISBN
: 9788171245703
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: x + 44 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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गिरिधर करुण उस पीढ़ी के सुपरिचित कवि हैं जो उम्र के तिहत्तरवें वर्ष में प्रवेश करके अमृत महोत्सव की तैयारी कर रहे हैं। पिछले छ: दशकों से पूर्वांचल के कवि स?मेलनों के मधुर कंठ गीतकार कवि गिरिधर करुण उन्नीस सौ बावन से अब तक के अपने गीतों का पहला व्यवस्थित संगग्रह अब प्रकाशित करा रहे हैं, जब उनके प्रेमी, प्रशंसक उनके संग्रह के लिए आग्रह करके थक चुके हैं। इस संग्रह में गिरिधर करुण के गीत आधी सदी की भावनात्मक कथा कहते हैं। उनके अगले संग्रह की प्रतीक्षा में— डॉ० रामदेव शुक्ल श्री गिरिधर करुण के पचास वर्षों की अक्षर-यात्रा, जो गीत के रागात्मक पथ पर अनवरत चलती हुई उस अक्षर-धाम तक पहुँची है—वस्तुत: उनकी जीवन-यात्रा है जिसमेंं कोई विराम नहीं है। यह यात्रा भाव-संयम, मित कथन और आत्मनिरीक्षण के आग्रह से परिचालित है। इसमें रचना कुछ कहती नहीं, करती है। वास्तव में जीवनानुभूति के बीच उस ऊर्जस्वी सम्बन्ध का स्वयं का कमाया हुआ एहसा है जो हमें करुण के गीतों में शुरू से लेकर आखिर तक बराबर सक्रिय दिखाई देता है। —डॉ० अरुणेश नीरन गिरिधर करुण के रचना-संसार में प्रवेश करते हुए मुझे अच्छा लग रहा है। शायद इसलिए कि इसमें प्रेम है, प्रकृति है और सौन्दर्य को मुक्त भाव से पी लेने की अकुलाहट है। मौसम में मधुमास की मादकता, कोयल की कूक और हर दिशा में नव जवानी का रंग, उदासी का कहीं नाम नहीं—हर जगह उल्लास ही उल्लास है। —डॉ० उदयभान ङ्क्षसह परत दर, परत लिपटी हुई इस जिन्दगी में जो कुछ गिरिधर करुण को चुभ गया उस 'टीसÓ की अभिव्यक्ति इन्होंने अपने गीतों में कुशलता के साथ की है। इनके गीतों में सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओं की सहज अभिव्यक्ति देखने को मिलती है जिसमें प्रेम और वेदना का स्वर प्रधान है। —डॉ०. किरन मराली