Sa Re Ga Ma (Saragam Geeton ka Rachana Sangrah) / सा रे ग म (सरगम गीतों का रचना संग्रह)
Author
: R.V. Kavimandan
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Music, Dance, Natyashastra etc.
Publication Year
: 2013
ISBN
: 9788171248117
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 152 Pages, Size : 24 x 16 Cm.

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हमारा भारतीय शास्त्रीय संगीत 'राग-प्रधानÓ है। गाने अथवा बजाने में जो भी विस्तार या सृजन किया जाता है, उसका केन्द्र-बिन्दु राग ही होता है। संगीत के प्रत्येक विद्यार्थी के लिए राग का स्वरूप, उसकी बारीकियाँ, उसका स्वभाव आदि भली-भाँति जान लेना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है। संगीत के प्रार?िभक विद्याॢथयों को स्वल्प परिश्रम से राग का स्वरूप संक्षिप्त रूप में बोध कराने के उद्देश्य से विद्वानों ने 'आरोहÓ, 'अवरोहÓ तथा 'पकड़Ó का आविष्कार किया होगा। परन्तु मात्र इतने से राग का परिचय पा लेना अस?भव है। राग में प्रयुक्त होने वाले स्वरों का 'अल्पत्वÓ, 'बहुत्वÓ, उनका 'वजनÓ उनका 'बर्तावÓ आदि का ज्ञान केवल आरोह, अवरोह, पकड़ आदि रट लेने मात्र से कदापि स?भव नहीं है, परन्तु उनमें स्वरों का बर्ताव, राग का 'चलनÓ भिन्न होने से वे अलग राग बन जाते हैं। इन सूक्ष्म तत्त्वों का ज्ञान होना संगीत के विद्याॢथयों के लिए परम आवश्यक है। थोड़े से परिश्रम से राग का समग्र स्वरूप जान लेने के उद्देश्य से 'सरगम-गीतÓ से अच्छा और कोई उपाय नहीं है। पुराने जमाने के उस्ताद अपने शागिर्दों को सर्वप्रथम राग का 'सरगम-गीतÓ भली-भाँति रटवाकर उसका खूब अ?यास करवाते थे, जिसका आजकल नितान्त अभाव है। इस अभाव के कारण पुराने जमाने के अनेक विलक्षण 'सरगम-गीतÓ विलुप्त हो गए हैं। यदि वे 'सरगम-गीतÓ आज उपलब्ध होते तो हमारे आज के संगीत-विद्याॢथयों का बड़ा उपकार होता। यही चिन्तन करते हुए संगीतज्ञ डॉ० आर०वी०कविमण्डन को यह प्रेरणा मिली कि क्यों न फिर से 'सरगम-गीतोंÓ की रचना की जाय ताकि विद्याॢथयों को आसानी से 'राग-ज्ञानÓ हो सके। इसी चिन्तन का परिणाम यह पुस्तक है। इन सरगम गीतों की रचना एक दिन में नहीं हुई है। लगभग सात वर्षों की ल?बी अवधि में इतनी रचनाएँ बन सकीं। इन रचनाओं को भातखण्डे स्वर-लिपि पद्धति में लिपिबद्ध किया गया है। इन सरगम गीतों के अतिरिक्त दैनिक अ?यास हेतु प्रार?भ में ही चुने हुए 31 अलंकार भी दिये गये हैं। इनमें से जिस दिन अ?यास करना हो, उस दिन की तारीख की सं?या वाला अलंकार मात्र 30 मिनट अ?यास कर लेने विद्यार्थी अवश्यमेव लाभान्वित होंगे।