Vagdoh / वाग्दोह
Author
: Kalyanmal Lodha
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242839
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xviii + 154 Pages, Append., Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

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हे देवि ! वाग्दोहरूपी ओंंकार का तुम दोहन करती हो। हूँ फट आदि मंत्रों का कलन करती हो। तुमने निखिल वाक् के सार वाग्दोहरूपी ओंकार का किसके द्वारा उस शान्तातीत परावाक् से दोहन किया है।......तुम स्वतंत्र होकर भी हमारी पकड़ में आओगे। मंत्र की परातंत्र भी मंत्राधीन होकर प्रकाशित हुई हो। इस अङ्क्षकचन प्रपन्न की भी तुम माँ हो, करुणावरुणालय हो। यही 'वाग्दोहÓ का मूल आधार है। वाणी का सार समझ जाने पर वाणी स्वयं दुग्ध झर देती है। न समझने वाले के लिए सबके लिए हिकार आदि निरर्थक शब्द हैं परन्तु समझने वाले के लिए ये शब्द प्रभु की महिमा उद्घाटित करते हैं। जो इस प्रकार साम गान जानता है। वह अन्नवान—अन्नाद हो जाता है—इसी प्रकार जो वाणी की सप्त विध उपासना करता है वह अनुभव करता है कि वाणी द्वारा गाया गया प्रत्येक अक्षर प्रभु की महिमा का गान है। वह अन्नवान हो जाता है—अन्नाद हो जाता है। 'वाग्दोहÓ का यही सार है। विषय-सूची १. संस्कृत और संस्कृति २. धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे ३. काल ४. प्राचीन भारत का विद्यादर्श ५. शिक्षा की मूल अवधारणाएँ ६. अर्थ तत्त्व ७. विश्वरूप दर्शन ८. सोमतत्त्व।