Hindi Nibandha Aur Nibandhakar [PB] / हिन्दी निबन्ध और निबन्धकार [पेपर बैक]
Author
: Ramchandra Tiwari
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2013
ISBN
: 9788171247516
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 172 Pages, Size : 21 X 14 Cm.

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हिन्दी-निबंध-लेखन का प्रारम्भ भारतेन्दु-युग (1887-1900 ई.) से स्वीकार किया जाता है। इस युग को हिन्दी-नवजागरण का द्वितीय चरण कहा गया है। सन् 1857 का स्वतन्त्रता-संग्राम हिन्दी-नवजागरण का प्रथम चरण है। हिन्दी-नवजागरण की प्रमुख विशेषता हिन्दी-प्रदेश की जनता में स्वातन्त्र्य-चेतना जाग्रत होना है। आज हिन्दी-निबंध साहित्य के पिछले सवा-सौ वर्षों के लम्बे इतिहास को देखते हुए जब हम उसकी उपलब्धियों का आकलन करते हैं तो चकित रह जाना पड़ता है। नवजागरण के आलोक में अपनी भाषा को अपनी जातीय अस्मिता के अभिलक्षण-रूप में सामने रखकर हमने अपनी यात्रा आरम्भ की थी। क्रमश: अपनी भाषा, अपने देश और लोक-हित की भावनाओं को लक्ष्य बनाकर हम आगे बढ़े। इस क्रम में हमने अपनी सामाजिक जड़ता को तोड़ा और स्वाधीन चेतना को रचना के केन्द्र में रखकर औपनिवेशिक चिन्तन के धुँधलके को साफ करते हुए अपनी संस्कृति और साहित्य के उज्ज्वल पक्ष को सामने रखा। हमारा निबंध-साहित्य हमारी इस सम्पूर्ण रचना-यात्रा का साक्षी है। भाषा, शैली, वाक्य-संरचना, उक्ति-भंगिमा, संवेदना-संस्पर्श, व्यक्तित्व-व्यंजना के वैविध्य एवं विस्तार तथा लालित्य-विधान की दृष्टि से भी हिन्दी-निबंध की समृद्धि आश्वस्ति प्रदान करनेवाली है। हमें अपनी इस उपलब्धि पर सन्तोष और गर्व है। हम अपने भविष्य के प्रति पूर्ण आश्वस्त हैं। जब तक रचना का सम्बन्ध स्वाधीन चेतना से बना रहेगा, हिन्दी-निबंध अपने उत्कर्ष, विस्तार और वैविध्य को सुरक्षित रखते हुए विकसित और समृद्ध होता रहेगा।