Purva Madhyakalin Jain Kala / पूर्व मध्यकालीन जैन कला
Author
: Awadhesh Yadav
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2007
ISBN
: 8171245382
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: x + 230 Pages, Append., Biblio., 8 Plates, Size : 22.5 X 14.5 Cm.

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जैनकला का उद्भव दसवीं शताब्दी से पूर्व हुआ, किन्तु इसका विकास दसवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य हुआ। इस ग्रन्थ में लेखक ने कहावली, प्रवचन स्रारोद्धार एवं तिलोणपण्णति 24 जिनों के स्वतंत्र लांछनों का उल्लेख करते हुए श्वेताम्बर एवं दिगम्बर सम्पप्रदायों में एकरूपता दर्शाने का प्रयास किया है और स्पष्ट किया है कि केवल सुपाश्र्व, शीतल, अनन्त एवं अरनाथ में वैभिन्नय है। लेखक द्वारा 63 शलाका पुरुषों का निरूपण एवं 17 जैन महाविद्यालयों के महत्त्व की कला में रेखांकित करना एक नयी खोज है। जैन चित्रकला पर ग्रन्थों में जैन कलाकारों के सामान्यत: अनुल्लेख मिलता है, किन्तु प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने जैन चित्रकला का विवरण प्रस्तुत करते हुए उसे 'जैन शैली' नाम प्रदान कर इतिहास जगत में नयी सोच का सृजन किया है। ग्रनन्थ में चित्रों को आबद्ध कर विचार को समझने की दृष्टि से मूलाधार उपस्थित किया है। —डॉ० विजयकुमार पाण्डेय