Chidvilas / चिद्विलास
Author
: Sampurnananda
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Sociology, Religion & Philosophy
Publication Year
: 2016, Third Edition
ISBN
: 8OTCP
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: 26 + 270 = 296 Pages, Append., Index, Size : Crown i.e 17.5 x 12.25 Cm.

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 चिद्विलास
यह न तो मनोविज्ञान की पुस्तक है, न कर्तव्यशास्त्र की, न उपासना, धर्मशास्त्र, योग या कला की। इसमें इन सब विषयों का थोड़ा-बहुत सन्निवेश हुआ है, परन्तु वह पर्याप्त नहीं है। अध्यात्मशास्त्र वह प्रकाश देता है जिसकी सहायता से अज्ञान का अन्धकार दूर किया जा सकता है। जगत् के स्वरूप को पहिचान लेने से सत्यम्, शिवम् और सुन्दरम् से सम्बन्ध रखनेवाली समस्याओं का निर्ग्रन्थन हो जाता है। अध्यात्मज्योति समस्त जीवन को विशङ्क और शुभ्र बना सकती है। मुझको विश्वास है कि जो दार्शनिक सिद्धान्त इस पुस्तक में प्रतिपादित  है वह सभी दृग्विषयों को, विज्ञान के सभी अङ्गों को, योग, आचार, उपासना और कला को, एक सूत्र में बाँधने में समर्थ है। जो लोग इन प्रश्नों में रुचि रखते हों उनको गम्भीर मनन से काम लेना चाहिये। शङ्काओं का उत्थापन और निराकरण तथा आध्यात्मिक प्रकाश में विभिन्न शास्त्रों का विस्तार न केवल बुद्धिचिलास और व्यक्ति की मानस तुष्टि का साधन होगा प्रत्युत इससे लोक का भी बहुत कल्याण होगा।
पुस्तक तीन खण्डों में विभक्त है। पहिले खण्ड में प्राय: ऐसे विचार हैं जिनका उपयोग सारी पुस्तक में हुआ है। इसीलिए उसको आधारखण्ड कहा गया है। इसमें प्राप्त हुए कुछ निर्णीतार्थों को विस्तृत विचार के बाद द्वितीय खण्ड में बदलना भी पड़ा है। दूसरे खण्ड का नाम ज्ञानखण्ड है। इसमें ही मुख्य विषय का प्रतिपादन है। तीसरे खण्ड में, जैसा कि उसके नाम धर्मखण्ड से प्रकट होता है, धर्म-सम्बन्धी विमर्श है।