Kramsadhana / क्रमसाधना
Author
: Gopinath Kaviraj
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2023
ISBN
: 9788189498542
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 116 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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क्रमसाधना
प्रात:स्मरणीय ऋषिकल्प वाणीमूर्ति कविराज जी के अन्तराकाश में क्रमिक साधना का जो आविर्भाव हुआ था, उसका वाङ्गïमय विग्रह 'क्रमसाधना' के रूप में आज अपना आत्मप्रकाश कर रहा है। उपलब्धि तथा साक्षात्कार की चरम स्थिति पर आसीन प्रातिभ ज्ञान सम्पन्न मनीषीगण के लिये क्रमसाधना का कोई मूल्य नहींं होता, क्योंकि परमेश्वर के तीव्रातितीव्र शक्तिपात के कारण वे अक्रम रूप से, युगपत् रूप से, तत्काल, कालावधिरहित स्थिति में परम ज्ञान तथा परमप्राप्तव्य से एकीभूत हो जाते हैं, तब भी पशुपाश में आबद्ध, मोहकलित प्राणीमात्र के लिये दयापरवश होकर वे क्रमसाधना की व्यवस्था करते हैं। साधारण प्राणी अक्रम ज्ञान की अवधारणा कर सकने में पूर्णत: अक्षम है। उसका अस्तित्व, अधिकार तथा पात्रता अभी निम्नभूमि में ही आबद्ध है। उसे स्तरानुक्रम से, एक-एक स्तर का अतिक्रमण करते हुये, उध्र्वपथ का पथिक बनना होगा। क्रमश: क्रमिक साधना का अवलम्बन लेकर आत्मसत्ता पर आच्छन्न जाड्यतम को अपसारित करना होगा, इसके अतिरिक्त कोई मार्ग ही नहींं है।
विषयानुक्रमणिका : 1. परात्पर गुरुरहस्य (रुद्रयामलोक्त), 2. विकासक्रम, 3. गुरु का स्थान एवं महत्त्व, 4. दीक्षा अर्थात् परानुग्रह, 5, उपसंहार, 6. जीव एवं ईश्वर, 7. भक्ति साधना का एक क्षेत्र, 8. पञ्चमहाभूत, 9. गीतोक्त लक्ष्य, 10. भगवत् प्रसंग, 11. पातंजलोक्त योगदर्शन, 12. योगोक्त सृष्टिरहस्य एवं इच्छा शक्ति, 13. प्रबुद्धता तथा सप्तदशी, 14. मन्त्र तथा जप. 15. समन्वय दृष्टि, 16. द्विधारा।