Adhunik Hindi Gitikavya : Samiksha / Vivechana / आधुनिक हिन्दी गीतिकाव्य : समीक्षा / विवेचना
Author
: Vishwanath Prasad
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171247776
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 338 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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गीत के विवेचन में एक दृस्टि यह हो सकती है कि केवल प्रवृत्ति का विवेचन दिया जाय। दूसरी दृष्टि यह हो सकती है कि गीतकारों को केन्द्र में रखकर गीत का अध्ययन किया जाय। गीत की शैली को देखकर गीतकार को एक साथ रखा जा सकता है। किन्तु हर युग और प्रवृत्ति के गीतकार का अध्ययन करते समय हर गीतकार की विशेषता का अलग से विवेचन करना आवश्यक दिखाई देता है। छायावाद काल के जयशंकर प्रसाद, निराला और महादेवी तीनों के गीतों का अध्ययन करते समय परस्पर इतना अलगाव दिखाई देता है कि अपने कथ्य में तीनों एक-दूसरे से अलग हैं। उनकी शैली का हल्का सा तालमेल बैठाया जा सकता है। आगे के गीतकारों में हरिवंशराय बच्चन आदि एक परम्परा से बँधे हुए गीतकार हैं। लेकिन नवगीतकारों का कथन और शैली भिन्न है। इसीलिए पुस्तक में छायावादी रचनाकारों के गीतों का एक खण्ड बनाया गया है। दूसरे अध्याय में छायावादोत्तर गीतकार हैं। तीसरे और चौथे अध्याय में नवगीतकारों की पुरानी और नयी पीढ़ी है। इन रचनाकारों की शैली में एकरूपता दिखाई देगी। किन्ïतु प्रत्येक गीतकार का कथ्य अलग है। उल्लेखनीय गीतकारों का अध्ययन करते समय उनके चिन्तन को उनके साथ ही विश्लेषित किया गया है। इससे प्रत्येक गीतकार के गीत के सौन्दर्यात्मक स्वरूप और उनके चिन्तन का अलग-अलग ठीक से विवेचन हुआ है।