Stuti Nati Pranati / स्तुति नति प्रणति
Author
: Nathmal Kedia
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2012
ISBN
: 9788171249121
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: x + 70Pages; Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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स्तुति नति प्रणति
और लो! महारास शुरू हुआ। पहले धीरे-धीरे, फिर कुछ त्वरित गति से, और उसके बाद तो बस...केवल सुनाई पड़ती थी ढोलक की थाप...उसके साथ ही लोगों की पद-चाप। सबके मन में एक ही बात थी...नहीं...नहीं...एक क्षण को भी विश्राम नहीं...नाचो...नाचो ताल पर...नृत्य करो...नृत्य करो महासंगीत के साथ। निचुड़ जाने दो शरीर का सारा सत्व...विगलित होकर बह जाने दो मन की सारी आशायें, आकांक्षायें। नि:शेष कर दो स्वयं को, सम्पूर्णतया निवेदित कर दो अपने-आप को प्रियतम के चरणों में। बस! एक बात का ध्यान रखो... यह नृत्य थमने न पाये। सच प्रियतम! उसी रात्रि तो हमें खगोल के इस सत्य से साक्षात्कार हुआ कि हमारी पृथ्वी, नभ, तारावलियाँ, सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र सब महारास में लीन अनवरत नृत्य कर रही है और यह भी कि जिस दिन यह नृत्य थमेगा ब्रह्मïाण्ड खण्ड-खण्ड हो जायेगा, सृष्टि टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, स्फुलिंगों में बदल जायेगी वह और अणु में बिखर जायेगा उसका यह रूप। इसलिए, घूमो, नाचो, नाचो। पैरों की थिरकन, मन की धड़कन, नूपुरों की रुनझुन सबको मिलकर अपूर्व अनहद नाद की सृष्टि करने दो। बस, यह नृत्य थमने नहीं पाये...नहीं थमने पाये यह नृत्य।
विषय-सूची
1. करुणा द्रव है रामायम, 2. मंगलं परम्, 3. राजस्थानी रामकाव्य, 4. कञ्चन थार कपूर की बाती - सीता माँ, 5. नमामि तं प्राञ्जिलराञ्जनेयम्, 6. कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्, 7. सखा सुनो श्याम के, 8. मैं सखी वृन्दावन की, 9. ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का विराट स्तवन - भीष्म स्तवराज, 10. परिशिष्ट।