Yogiraj Tailang Swami / योगिराज तैलंगस्वामी
Author
: Vishwanath Mukherjee
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
Publication Year
: 2022, 6th Edition
ISBN
: 9788189498627
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: 92 Pages, Size : Demy i.e. 21 x13 Cm.

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अनादिकाल से काशी साधकों के निकट साधना-भूमि रही है। बुद्ध से लेकर स्वामी विशुद्धानन्द तक यहाँ निवास करते रहे। तैलंग स्वामी एक ऐसे योगिराज थे जो 280 वर्ष तक जीवित रहे। सन् 1737 ई० से 1887 ई० तक यानी पूरे 150 वर्ष तक वे काशी में थे। आपकी योग विभूतियोंं से प्रभावित होकर नगर के लोग उन्हें साक्षात् विश्वनाथ समझते थे। तैलंग स्वामी की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि आपने न किसी मठ की स्थापना की और न अपने नाम से सम्प्रदाय चलाया। यहाँ तक कि आपके शिष्यों की संख्या भी नगण्य रही। महात्मा तैलंग स्वामी के सम्बन्ध में बंगला में सर्वप्रथम पुस्तक श्री नारायणचन्द्र दास ने लिखकर छपवायी। यह 19वीं शताब्दी के अन्त या बीसवीं शताब्दी के प्रथम चरण की घटना है। सन् 1918 में स्वामीजी के अन्तिम गृहस्थ शिष्य श्री उमाचरण मुखोपाध्याय ने 'महात्मा तैलंग स्वामीर जीवन चरित ओ तत्त्वोपदेश' लिखकर छपवायी। श्री मुखोपाध्याय यह स्वीकार करते हैं कि संस्मरण के अलावा जीवन का अंश उन्होंने स्वामीजी के द्वितीय शिष्य कालीचरण स्वामी से जबानी प्राप्त किया है जबकि नारायणचन्द्र दास की पुस्तक मेंं ये सारी बातें हैं। इन्हींं दो पुस्तकों के आधार पर बंगला में सर्वश्री सुरेन्द्रकुमार सेनगुप्ता, रेनगुप्त, नवकुमार विश्वास, अमरेन्द्रकुमार घोष, स्वामी कृष्णानन्द सरस्वती तथा स्वामी परमानन्द सरस्वती (आप तैलंग स्वामी की शिष्या शंकरी माता के शिष्य थे, आपने उमाचरणजी की पुस्तक में वॢणत अनेक बातों का खण्डन किया है।) आदि ने पुस्तकें लिखी हैं। श्री उमाचरण मुखोपाध्याय की पुस्तक के हिन्दी अनुवाद का प्रकाशन काशी के ही किसी सज्जन ने किया था, जो एक अर्से से अप्राप्त है। उस अभाव की पूर्ति इस पुस्तक के माध्यम से की गयी है।