Ravan Ki Satyakatha / रावण की सत्यकथा
Author
: Ram Nagina Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2014
ISBN
: 9789351460305
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 88 Pages; Size : Demy i.e. 21.5 13.5 Cm.

MRP ₹ 80

Discount 15%

Offer Price ₹ 68

रावण को प्राय: राक्षस के वीभत्स रूप में जानने और सुनने की मान्यता समाज में विद्यमान है, परन्तु इस पुस्तक में रावण के गुणों एवं आदर्शों का जैसा वर्णन मिलता है, वह अनूठी वस्तु है। रावण वैसा नहीं जैसा रामलीला या  किंवदन्तियों में चित्रित किया गया है। रावण अन्य मनुष्यों की भाँति एक शिष्ट व्यवहासकुशल और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था उसके पास शारीरिक बल के साथ बुद्धि भी थी जिससे वह अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को कार्यरूप में परिणत कर सकता था। रावण को मात्र राक्षस कहकर टाल देना उसके प्रति बहुत बड़ा अन्याय है। वह पुलस्त्य महर्षि का पौत्र, विश्रवा का पुत्र था इसीलिए उसे पौलस्त्य कहते हैं। मात्र उसकी माँ ही राक्षस कुल से थी। रावण अपने समय का एक बलिष्ठ, सुन्दर और सुशील नवयुवक था जिसने सुन्दरी मन्दोदरी को स्वयंवर में जीता था। रावण शिव का अनन्य भक्त था। उसके शिवस्तोत्र आज भी शिवभक्तों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। रावण एक असाधारण, प्रतिभा म्पन्न और कुशल नीतिज्ञ शासक था। यह बात दूसरी है कि वृद्धावस्था में उसे राम-रावण युद्ध में मात खानी पड़ी। रावण को सही सन्दर्भ में रखकर मूल्यांकन करने का लेखक का प्रयत्न स्तुत्य है।