Subah Ho Gayi (Stories) / सुबह हो गयी (कहानी संग्रह)
Author
: Virendra Prasad Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Novels / Fiction / Stories
Publication Year
: 1989
ISBN
: 8171240321
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 102 Pages, Size : Crown i.e. 18.5 x 12.5 Cm.

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उम्र की उस दहलीज, जब हर चीज गदराई सी सोंधी-सोंधी और मीठी लगने लगती है, को पार करते ही नारी यह चाहती है कि उसका अपना एक नीड़ हो, कोई अपना हो जिसके साथ जीवन में आने वाले झंझावातों का सामना कर सके। जीवन में सब कुछ पा लेने की ललक में वह यह चाहती है कि उसकी ओर से आमंत्रण भी प्रकट न हो। लेकिन उसके मिथ्या मुस्कान में छिपे दर्द को विरले ही पहचान पाते है कि औरत बनने के साथ-साथ वह स्त्री भी बने रहना चाहती है। एक समय यह भी आता है जबकि उसके द्वारा रोपित-ङ्क्षसचित और सेवित पौधा भी उसके पकड़ के बाहर होने लगता है। और पुरुष? पुरुष को तो उत्तरदायित्व निभाने के लिए हृदय के साथ-साथ मस्तिष्क और शरीर सबकी शक्ति लगानी पड़ती हैं, लेकिन सुबह होने की आशा में वह सोचता है—वह अपनी वेदना की बात दूसरे से क्या कहे? जो भी नजर आता है व्यथित ही लगता है—जब दूसरे को सुख न दे सके तो दुख ही क्यों दे? एक स्थिति यहाँ तक आ जाती है कि बेटे-बेटियों से भरा-पूरा परिवार होने के बावजूद पत्नी का वियोग उसके लिए असह्यï होने लगता है। जीवन-यात्रा में एक पड़ाव यह भी आता है जबकि उसे एहसास होता है कि दायित्व-बोध रखने वाले को कितनी कीमत चुकानी पड़ती है, उसे नीबू की तरह सब निचोड़ते हैं। गाँव-नगर के बीच दौड़ लगाते समय ऐसी भी स्थिति आती है जब उसे अपने-पराये लगने लगते हैं और पराये अपने।