Ayodhya Ka Itihas / अयोध्या का इतिहास (1932 में प्रकाशित मूल संस्करण मूल रूप में)
Author
: Avadhvasi Lala Sitaram (Raibahadur Lala Sitaram)
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2022
ISBN
: 9789387643529
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 288 Pages; 16 Plates; Size : Demy. i.e. 22 x 14 Cm.

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अयोध्या का इतिहास
(1932 में प्रकाशित मूल संस्करण मूल रूप में)

साहित्यरत्न, हिन्दी सुधाकर,
राय बहादुर
श्री अवधवासी लाला सीताराम, बी.ए.,
संकलित

इस देश (हिन्दुस्थान) का प्राचीन नाम उत्तरकोशला है, जिसकी राजधानी अयोध्या थी। यों तो चन्द्रवंश का प्रादुर्भाव प्रयाग के दक्षिण प्रतिष्ठानपुर में हुआ; परन्तु जैसे मनु पृथ्वी के प्रथम राजा (महीभृतामाद्य:) कहे जाते हैं वैसे ही उत्तरकोशला की राजधानी अयोध्या भी सबसे पहिली पुरी है। इसी उत्तरकोशला में विष्णु भगवान के मुख्य अवतार राम, कृष्ण और बुद्ध अयोध्या, मथुरा और कपिलवस्तु में हुए। तीर्थराज प्रयाग, मुक्तिदायिनी विश्वनाथपुरी काशी इसी कोशला में हैं। वेदों में जिन पांचालों का नाम बार-बार आया है वे इसी कोशला के रहने वाले थे। इसी कोशला में अयोध्या के राजा भगीरथ कठिन परिश्रम से गंगा को ले आये। यहीं से निकलकर क्षत्रियों ने तिब्बत, श्याम और जापान में साम्राज्य स्थापित किये। जैन लोग 24 तीर्थकर मानते हैं। उनमें से 22 इक्ष्वाकुवंशी थे। यों तो 5 ही तीर्थकरों की जन्मभूमि अयोध्या में बताई जाती है, परन्तु जैनियों की धारणा यह है कि सारे तीर्थकरों को अयोध्या ही में जन्म लेना चाहिए। विशेष बातें इस ग्रन्थ के पड़ने से विदित होंगी। ऐसे प्राचीन नगर का इतिहास जानने की किस सहृदय भारतवासी को अभिलाषा न होगी।
धरि हिय सिय रघुबीर पद, विरच्यो मति अनुरूप।
अवधपुरी-इतिहास यह, अवधनिवासी भूप।।
निज पुरुषन को सुजस तहँ तेज प्रताप विचारि।
पढ़ै मुदित मन सुजन तेहि मेरे दोष बिसारि।।
-श्री अवधवासी भूप उपनाम सीताराम