Ghan Ghan Antar Damini / घन घन अंतर दामिनी
Author
: Asha Bali
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2018, 1st Edition
ISBN
: 9789351461982
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: 80 Pages

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 कृष्ण और रास सदा से ही पर्याय रहे हैं। यहाँ तक इसी परिपूर्णता के साक्षी हैं— गोकुल, मथुरा, वृन्दावन अर्थात् 'कृष्ण भूमि' । सत्य तो यह है कि सम्पूर्ण ब्रज संस्कृति ही 'रास संस्कृति' है। कृष्ण चरित में रास ही 'आत्मा' है।

विवेच्य काव्य कृति में रास रसिक योगेश्वर कृष्ण की महारास लीला और गोपियों के अलौकिक प्रेम और विप्रलंभ के दिव्य दर्शन होते हैं। श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध से अवतरित कृष्ण की रासलीला में अनेक प्रकार की प्रेमातुरता अन्ततोगत्वा आध्यात्मोन्मुखी होकर जीव और ब्रह्म की एकाकारता परिलक्षित करा देती है। यदि श्री कृष्ण अक्षर ब्रह्म हैं तो गोपिकायें पुष्ट जीव के रूप में महारास लीला की सुन्दर, प्रेमोन्मत्त, व्याकुल हृदया सहभागिनी के रूप में अपनी नृत्य संगीत कला का कृष्ण पर अपना जादू डाल देती हैं। वे घर, परिवार, समाज, लोक लज्जा—सब कुछ पीछे छोड़ कर श्री कृष्ण की रासलीला की अनिवर्चनीय आनन्दानुभूति के लिये दौड़ पड़ती हैं। रासलीला में झलकती गोपियों की अगाधप्रियता कृष्णमय होकर जीव और ब्रह्म के एकीकरण को प्रत्यक्ष प्रदर्शित कर देती है।
—भगवती प्रसाद बाजपेयी
लखनऊ