Kasak : Kuch Prem Kavitayen / कसक : कुछ प्रेम कविताएँ
Author
: Shyam Bihari Nigam Nirdosh
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2017, 1st Edition
ISBN
: 9788189498962
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 84 = 96 Pages / Size : 22 x 14 cm.

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<div>श्याम बिहारी निगम 'निर्दोष' जी के काव्य संग्रह 'कसक' को पढ़ते हुए कविता की दुनियाँ से गायब होते प्रेम नामक भाव के एक नए रूप का बोध होता है। प्रेम ने मनुष्य को मनुष्य बनाया यह भाव इन कविताओं का मुख्य स्वर है। संग्रह की कई कविताओं में प्रेम की सघन स्मृतियाँ हैं तो प्रिय से बिछुड़ने का दर्द भी है। प्रिय से कहीं नाराजगी है तो कहीं इन्ही यादों के लुटे जाने का गम भी है।</div><div><br></div><div>एक कविता 'यादें' की पंक्ति है —</div><div><br></div><div><i>'कितनी ही कोशिश करूँ भूल जाने की</i></div><div><i>पर न जाने कैसे शामिल हो जाती हैं</i></div><div><i>उन्हीं की बातें हर बात में'</i></div><div><br></div><div>कहीं ऐसा लगता है कि प्रकृति की समस्त क्रियाएँ प्रिय की क्रियाओँ का आत्मिक विस्फोट है। यह एक प्रकार से प्रकृति के साहचर्य का रोमांस पाने जैसा ही है। एक कविता 'सिलसिला' में कवि कहता है —</div><div><i><br></i></div><div><i>'आप मानें या न मानें</i></div><div><i>मुझे तो यकीन है,</i></div><div><i>आज फिर किसी का दिल टूटा है</i></div><div><i>फिर किसी ने आज चोट खाई है</i></div><div><i>तभी तो मौसम में हर जगह उदासी छाई है।'</i></div><div><br></div><div>कुल मिलाकर एकान्त प्रेम कि निष्कलुष पवित्रता से सृजित ये कविताएँ मन को आर्द्र और जीवन को आह्रादित करती हैं। इनमें विरह की मधुर स्मृतियाँ हैं तो स्मृतियों में विरह की कसकती मधुरता है जिसमें एक तरफ किंकर्तव्यविमूढता है तो दूसरी तरफ प्रिय के प्रति गहरा आर्कषण।</div><div><br></div><div>मैं 'निर्दोष जी' को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आने वाले दिनों में ये हिन्दी कविता के परिसर को और भी समृद्ध करेंगे।</div><div><br></div><div align="right"><b>— श्री प्रकाश शुक्ल </b><br></div><div align="right">प्रोफेसर, हिन्दी विभाग</div><div align="right">काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी<br></div>