Surya Vigyan Praneta Yogirajadhiraj Swami Vishuddhanand Paramhansdeva / सूर्य विज्ञान प्रणेता योगिराजाधिराज स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव : जीवन और दर्शन
Author
: Nand Lal Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
Publication Year
: 2021, 8th Edition
ISBN
: 9789351461104
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xiv+ 312 Pages, Append., Plate, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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<div align="center"><font size="4"><b><font color="800000">सूर्य विज्ञान प्रणेता योगिराजाधिराज स्वामी विशुद्दानन्द परमहंसदेव : जीवन और दर्शन</font></b></font><br></div><br><div align="left"><font size="3" color="008000">पं. गोपीनाथ कविराज के गुरू सूर्यविज्ञान प्रणेता योगिराजधिराज स्वामी विशुद्धानन्द परमहंसदेव एक आदर्श योगी, ज्ञानी, भक्त तथा सत्य-संकल्प महात्मा थे। परमपथ के इस प्रदर्शक ने 'योग' तथा 'विज्ञान' दोनों ही विषयों में परमोच्चा स्थिति प्राप्त कर ली थी। शास्त्रों के गुह्यïतम रहस्यों को वे अपनी अचिन्त्य विभूति के बल से, योग्य अधिकारियों को प्रत्यक्ष प्रदर्शित करके समझाने तथा उनके सन्देहों का समाधान करने में पूर्णरूपेण समर्थ थे। इन महापुरुष को अनेक योग-सिद्धियाँ प्राप्त थीं जिससे प्रकृति, काल और स्थान सब उनकी इच्छा-शक्ति के अनुचर थे। साथ-ही-साथ 'विज्ञान' की भूमि में भी इनकी उपलब्धि इतनी असाधारण थी कि सूर्य की उपयुक्त रश्मियों को आतिशी शीशे द्वारा, रुई आदि पर संकेन्द्रित करके वे मनोवांछित धातुओं, मणियों तथा अन्य पदार्थों का सृजन तथा एक वस्तु को दूसरी मेंं परिवर्तित भी कर देते थे। काशी के मलदहिया मुहल्ले में उन्होंने 'विशुद्धानन्द कानन आश्रम' स्थापित किया जो अनेक वर्षों तक उनकी लीलाओं का कर्म-स्थल रहा। वहाँ आज भी उनके द्वारा स्थापित प्रसिद्ध 'नवमुण्डी सिद्धासन' तथा संगमरमर की प्रतिमा के रूप में उनकी स्मृति सुरक्षित है। </font></div>