Purain Paat (Selections from Bhojpuri Literature) / पुरइन पात (भोजपुरी साहित्य से एक चयन)
Author
: Arunesh Neeran
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Folklore (Lok Sahitya-Bhojpuri etc.)
Publication Year
: 2002
ISBN
: 8171243045
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xx + 200 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.
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In This Book :
BHOJPURI POEM/POETRY by :
Gorakhnath, Bharthari, Kabirdas, Dharamdas, Palatu Sahab, Lakshmi Sakhi, Babu Raghuvir Narain, Heera Dom, Mahender Misir, Manoranjan Prasad Sinha, Pt. Dharikshan Mishra, Moti B.A., Ram Jiyavandas 'Bavala', Gorakh Pandey
LITERARY ESSAYS IN BHOJPURI by :
Vidyaniwas Mishra, Shiv Prasad Singh, Vishwanath Prasad Tiwari, Gyanendrapati
LECTURES IN BHOJPURI by :
Acharya Hazari Prasad Dwivedi, Bhagwatsharan Upadhyaya, Acharya Vishwanath Singh
DRAMA-PLAY IN BHOJPURI by :
Rahul Sankrityayan, Bhikhari Thakur
STORIES IN BHOJPURI by :
Dandiswami Vimalananda Saraswati, Rameshwar Singh Kashyap, Viveki Rai, Ramdev Shukla
अमवा के नाइँ बाबू बउरैं महुअवा कुचलागैं पुरइन-पात-अस पसरैं कमल-अस बिहँसैं। भोजपुरी साहित्य अपने ज्ञात इतिहास के शुरुआती दिनों से ही, गोरख-कबीर की बानी गवाह है कि अस्वीकार के साहस और प्रतिरोध की शक्ति से स?पन्न रहा है। सबको साथ लेकर और सबके साथ होकर रहने-चलने के भोजपुरिया स्वभाव ने देश-भाषा के रूप में हिन्दी को आगे लाने के लिए निज भाषा भोजपुरी और उसके साहित्य को पीछे कर लेने में भी उसी साहस और शक्ति का परिचय दिया है। खड़ी बोली हिन्दी को खड़ा करने में, भारतेन्दु से लेकर आज तक 'पूरब के साकिनोंÓ की भूमिका बड़ी और बढ़ी रही है, अनायास नहीं है कि आधुनिक युग के सबसे बड़े कवि-नाटककार प्रसाद, सबसे बड़े कथाकार प्रेमचंद और सबसे बड़े आलोचक रामचन्द्र शुक्ल भोजपुरी भाषा-भूगोल से आते हैं। तमाम जनपदीय भाषाओं की शक्ति ही हिन्दी की शक्ति बनी, लेकिन इस सिलसिले में उनकी अपनी पहचान कुछ इस कदर धुल-पुँछ भी गई कि जिसे 'हिन्दी प्रदेशÓ कहते हैं, हिन्दी ही उसकी
अमवा के नाइँ बाबू बउरैं महुअवा कुचलागैं पुरइन-पात-अस पसरैं कमल-अस बिहँसैं। भोजपुरी साहित्य अपने ज्ञात इतिहास के शुरुआती दिनों से ही, गोरख-कबीर की बानी गवाह है कि अस्वीकार के साहस और प्रतिरोध की शक्ति से स?पन्न रहा है। सबको साथ लेकर और सबके साथ होकर रहने-चलने के भोजपुरिया स्वभाव ने देश-भाषा के रूप में हिन्दी को आगे लाने के लिए निज भाषा भोजपुरी और उसके साहित्य को पीछे कर लेने में भी उसी साहस और शक्ति का परिचय दिया है। खड़ी बोली हिन्दी को खड़ा करने में, भारतेन्दु से लेकर आज तक 'पूरब के साकिनोंÓ की भूमिका बड़ी और बढ़ी रही है, अनायास नहीं है कि आधुनिक युग के सबसे बड़े कवि-नाटककार प्रसाद, सबसे बड़े कथाकार प्रेमचंद और सबसे बड़े आलोचक रामचन्द्र शुक्ल भोजपुरी भाषा-भूगोल से आते हैं। तमाम जनपदीय भाषाओं की शक्ति ही हिन्दी की शक्ति बनी, लेकिन इस सिलसिले में उनकी अपनी पहचान कुछ इस कदर धुल-पुँछ भी गई कि जिसे 'हिन्दी प्रदेशÓ कहते हैं, हिन्दी ही उसकी