Ek Shabda Uthata Hoon / एक शब्द उठाता हूँ
Author
: Ananta Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2001
ISBN
: 817124274X
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 136 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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अनन्त मिश्र का कविता-संग्रह बहुत विलम्ब से पाठकों के पास पहुँच रहा है। इसका मुख्य कारण यही है कि वे छपास रोग और इतिहास-प्रवेश की लालसा से मुक्त एक शुद्ध कवि हैं जो कविता लिख कर ही मुक्त तो हो जाते हैं और तृप्त। उनकी कविता से कोई कौन सा हित-साधन कर लेगा या उन्हें कवियों के किस खाने में डाल देगा, इसकी चिन्ता उन्हें नहीं। समुद्र मन्थन के इस भयानक देव-दानव संघर्ष में वे जिन्दगी की लय के साथ हैं। थके हारे बूढ़े काका के लिए एक चारपाई की तरह, बछड़े के लिए गाय के कच्चे दूध की तरह। जो जीवन-धारा में बहना चाहते हैं उनके लिए अनन्त मिश्र के पास हमेशा हैं कविताएँ। कविताएँ जिनमें सायास बुनावट नहीं, चालाकियाँ नहीं, छद्म नहीं। जो सहज संवेदना और कवि की उपस्थिति से भरी पूरी है। कवि जो पक्षियों को छंद की तरह तृप्त भाव से देख सकता है और जेब में मूँगफली भरे, चिडिय़ों से बातें करते भीड़ में गुजर सकता है। अनन्तरूपात्मक जगत के साथ कवि का सहज लगाव उसे मानव के साथ मानवेतर प्राणियों तक ले जाता है-नाग-नागिन, पात-पुरइन, बाघ-बाघिन, कुत्ते, गदहे, अमरूद के तोते और गिलहरियों तक। सायकिल और बेंच जैसे प्राणहीन पदार्थों की भी चिन्ता है कवि को। उसे विश्वास है कि यह दुनिया रहेगी इसलिए वह आदमी को बार-बार उसके बीज होने की याद दिलाना चाहता है। अपने समय की चालू, दो दुना चार वाली कविताओं से अलग मस्ती में, पस्ती में, राग और विराग में लिखी गई अनन्त मिश्र की ये विरल कविताएँ कविता को किसी परिभाषा में बाँधने के जड़ प्रयास का प्रतिकार करती हैं। विषय-सूची : अपराजेय अच्युत, अकाल मृत्यु की परिकल्पना में, याचक, खेती-बारी, अर्थ-व्यवस्था, नींद मुझे नहीं आती, साइकिल, ऑटोग्राफ, बच्चा, बूढ़ा, गिरफ्तारी देने वाला शिक्षक, कच्चे हैं दु:ख, प्रक्रिया से गुजरते हुए, शाम को, क्षमा-याचना, पतझर करेगा पश्चात्ताप, झुकी हुई औरत, सुबह होती है, इस साल औरतें, चिडिय़ाँ और मैं, छ: सेठानियाँ, बुद्धिजीवी, प्रेम के मामले में, मेरे लिए, चौरतफा सुबह, मकान, तिनका, घाटी, काली रात में अकेलापन, रचने दो अँधेरा, कृपया धीरे चलिए, वरेण्य प्यार, याद, जरूर, हम पेड़ों के बीच, एक दिन, प्रत्यावर्तन की प्रार्थना में, नये वर्ष के आगमन पर, वसंत : कुछ छवियाँ—एक, दो, तीन, प्रश्न है वसंत से, सौदागर वसंत, गुंडे, स्त्री, धूप में बैठे हैं दो जन, संध्या का अपना रथ है, शुक्रिया मेरे शब्दों! उदास रहने का दिन, जाड़े का दिन आज वसंत पंचमी है, झोला लिए आदमी, समुद्र-मंथन, लड़की का क्या दोष था? शहर, दिन-प्रतिदिन, मेरे शहर के लोग, सन्नाटा, वक्त की असलियत, संक्रमण-क्रम, अभी बंद है दरवाजा, चक्की, घास, हम घोड़े थे फालतू, ठहरे हुए, आपके लिए कविताएँ, रोशनी, प्रणाम, अपनी मंजिल, घृणा, ओ मेरी प्रिया, प्रेमिका ने कहा, सुरती ठोंको, स?बन्ध-सूत्र, निसर्ग-नियति, पत्नी—एक, पत्नी—दो, स्मृति शेष पिता : दो कविताएँ, मेरे रहते वह नहीं कटेगा, वे जरूर आयेंगे, इस साल, जिसे हम प्यार करते हैं, शब्द और अर्थ, स?प्रेषण, रूप सरोवर, उद्यान की बेंच, शहरी रिक्तता का गीत, यही तो होता रहा है हर बार, इस बरसात में, महाभारत के संजय की स्मृति में, इतिहास दौरे पर है, स्मृति-व्यथा, वसन्त-आगमन, आप कुछ नहीं कर सकते, शब्द और चुप का रहस्य, गाँधी के प्रति, भयानक शब्द, अरण्य रोदन, कलिकथा, जीवन, बूढ़ी औरत, बची रहेंगी कविताएँ। -विश्वनाथप्रसाद तिवारी