Bhaye Kabir Kabir / भये कबीर कबीर
Author
: Shukdeo Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
Publication Year
: 2005
ISBN
: 8171243843
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xvi + 264 Pages, Append., Biblio., Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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कबीर को लेकर एक वैचारिक संसार का निर्माण हुआ है जिसे विश्वविद्यालयों के अध्ययन में छोटे मुँह बड़ी बात केरूप में स्थापित किया गया। एक दूसरी दुनिया गायकों की है जो सड़क से लेकर ओम्कारनाथ ठाकुर और कुमारगन्धर्व के 'हमसा, तुमसा, सब मा, बहुरि अकेला' के अकेलेपन में है अथवा 'जतन बताए जैहो' कइसे दिन कटि हैं। गंगा हो चाहे जमुना इनके बीच में एक झोपड़ी बनाने के धुर पंचम सुर में भी कबीर को सुनना है। एक हद वहाँ है जहाँ कबीर केवल सुनने की बात कहते हैं, इनका कहना हो ही नहीं सकता। समझने की एक अन्तर्मुखी तड़प अर्थात् निरन्त बैखरी से लौटते हुए परा तक पहुँचने की भूमिका। इसे गूँगे का गुड़ या 'समुझिं मनहि मन रहिए' की दशा भी कहा जा सकता है। इस किताब में गवेषणा, पाठ-अनुसन्धान, प्रासंगिकता पर बहस है। विभिन्न कला माध्यमों में कबीर का दर्शन, प्रदर्शन और सामाजिक सुविधाओं के बाहर घूमते लोगों की निर्गुनियाँ व्यथा है। मृत्यु के बहुत निकट जाकर 'उलटभाषी' को भी समझने की कोशिश है। कई तरह के पाठकों और विचारकों के लिए इस किताब में अलग-अलग पाठ हैं। सारे पाठ बाहर से अलग, भीतर से एक हैं। आधी शताब्दी की यह यात्रा इस विश्वास के साथ की गयी है 'हम न मरिहै, मरिहैं संसारा' संसार भी अपना हिन्दी वाला नहीं, सारी दुनिया-जिसे सरग-पताला कहा जाता है।