Uttarramcharitam (Mahakavi Shri Bhavbhuti) (With Veerraghavkrit Tika) / उत्तररामचरितम ् [महाकवि श्री भवभूति-प्रणीतम्](वीरराघवकृत टीका सहित)
Author
: Ravinath Mishra
  Ram Awadh Pandey
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Sanskrit Literature
Publication Year
: 2022
ISBN
: 9788171248384
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xxxxxii + 360 Pages, Append., Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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भवभूति के 'उत्तररामचरितम्' की प्रशंसा मुक्तकंठ से पारस्परिक विद्वानों ने भी की है और पाश्चात्य विद्वानों ने भी, किन्तु प्राचीनों की प्रशंसा केवल आलंकारिक सूक्ति के रूप में है। पाश्चात्य आलोचकों तथा उस ढंग के भारतीय समीक्षकों ने उत्तररामचरितम् की प्रशंसा मुख्यत: तीन बातों के लिए की है—1. मन के भीतर के अन्तद्वन्द्व की सफल अभिव्यक्ति उत्तररामचरितम् में मिलती है, चाहे वह सीता के मन की हो, राम के मन की हो, जनक के मन की हो या लव-कुश और चन्द्रकेतु जैसे बच्चों के मन की हो। 2. उत्तररामचरितम् में वॢणत प्रेम अत्यन्त ऊँचे धरातल का है, उसमें वासना का ज्वार नहीं है। वह एक प्रकार से स्नेह के सार में सिमटकर प्रेम का सत्त्वरूप है। उसकी एक आध्यात्मिक भूमिका है। क्योंकि वस्तुओं को जोडऩे वाला कारण कोई भीतरी होता है जो बाहरी कारणों की अपेक्षा नहीं करता—3. भवभूति ने चित्रवीथी अङ्कï, छाया अङ्कï और गर्भाङ्कï के प्रयोग में क्रमश: प्रथम, तृतीय और सप्तम अङ्कï में अद्भुत नाटकीयता का परिचय दिया है।