Rigvedbhashyabhoomika / ऋग्वेदभाष्यभूमिका (सायणाचार्यकृता हिन्दी व्याख्या सहित)
Author
: Haridutt Shastri
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2013
ISBN
: 9788171249299
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 160 Pages, Biblio., Size : Crown i.e. 17.5 x 12 Cm.

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विषयानुक्रमणिका : मंगलाचरण / पूर्वपक्ष-यजुर्वेद के प्रथम व्याख्यान का अनौचित्य / उत्तरपक्ष-यजुर्वेद के प्रथम व्याख्यान का समर्थन / पूर्वपक्ष-वेद का लक्षण और वेद के मानने के प्रमाण / उत्तरपक्ष - वेद की सत्ता / पूर्वपक्ष-वेदप्रामाण्यविचार (मन्त्रभाग प्रामाण्यचर्चा) / उत्तरपक्ष-मन्त्रभाग प्रामाण्यस्थापना / पूर्वपक्ष-जैमिनि मुनि के सूत्रों द्वारा मन्त्रप्रामाण्य विचार / ब्राह्मïणभाग प्रामाण्य निरूपणम् / अर्थवादभाग प्रामाण्याप्रामाण्य विचार:/ वेदापौरुषेयत्व सिद्धि / वेदस्य मन्त्रब्राह्मïणात्मकत्वविचार: / ब्राह्मïण-लक्षणविचार: / मन्त्रत्रैविध्य विचार: / वेदाध्ययन की अवश्य कर्तव्यता / वेदाध्ययन का फल अर्थज्ञान है या अक्षरज्ञान मात्र / पूर्वपक्ष / अक्षर-ग्रहण पर्यन्तता सिद्धान्त का समर्थन / वेदार्थज्ञ प्रशंसा ज्ञानफलातिथय विचारश्च / वेद के विषय आदि अनुबन्धचतुष्ट्य का निरूपण / वेद का प्रयोजन / अधिकारि-निरूपण / सम्बन्ध निरूपण / अपरविद्या स्वरूप वेदांगों का निरूपण / शिक्षा निरूपण / ऊह: खल्वपि / आगम: खल्वपि / लध्वर्ष चाध्येयं व्याकरणम् / असन्देहार्थ चाध्येय व्याकरणम् / 1 ते असुरा: / 2 दुष्ट: शब्द: / 3 यदघीतम् / 4. यस्तुप्रयुंक्ते / अविद्वांस: / विभक्ति कुर्वन्ति / यो वा इमाम् / चत्वारि / दूसरे मंत्र की व्या?या / उत त्व: / सक्तुर्मेव / सारस्वतीम् / दश?यांपुत्रस्य / सुदेवो असि / निरुक्तविवरणम् / श्लोकार्थ / छन्द: प्रयोजन निरूपणम् / ज्योतिषशास्त्र प्रयोजन / पुराणादि चतुर्दश विद्यानाम वेदार्थज्ञानोपयोगत्वम् / परिशिष्ट