Kirat Nadi Main Chandra Madhu / किरात नदी में चन्द्र मधु
Author
: Kuber Nath Rai
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2001
ISBN
: 9VPKNMCMH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: vi +156 Pages, Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

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प्रस्तुत संग्रह में अन्तिम निबंध 'भारतीय किरात' को छोड़कर शेष रचनाएँ ललित निबंध या रिपोर्ताज हैं। आधे के करीब निबंध 'प्रिया नीलकण्ठी', 'गंधमादन' या 'पर्णमुकुट' की रस-परम्परा के अन्तर्गत आते हैं। उनकी प्रकृति से मेरे पाठक परिचित हो चुके हैं। अत: उनके बारे में कुछ नया कहने को नही है। शेष निबन्ध भी ललित निबन्ध हैं। परन्तु उनके ताने-बाने में भारतीय किरात संस्कृति के रूप-रंग-रस के बिम्ब और संस्कार बुने गये हैं। किरात संस्कृति के मुख्य दो विभाजन हैं : (1) भोट-मंगोलीय और (2) चीनी-मंगोलीय। तिब्बत-भारत-बर्मा के किरात प्रथम वर्ग मेंं आते हैं। यह संस्कृति लद्दाख-उत्तरकुरु-कूर्माचल-नेपाल-भूटान से लेकर अरुणाचल-नागालैण्ड तक विस्तृत है। इस विषय पर एक निबन्ध 'भारतीय किरात' इसी संकलन में है। पाठक से अनुरोध है कि उस निबन्ध को पढ़कर इस विषय के महत्व को पहचाने। यह पुस्तक किरातसंस्कृति का क्रमबद्ध ब्यौरा नहीं प्रस्तुत करती। यह पुस्तक की विधा और उद्देश्य के बाहर की बात है। इसमें किरात संस्कृति की नदी में झलकते हुए भाव और रस के चन्द्रबिम्बों की फुटकर छवियाँ ही मिलेंगी। इसी से इसका नाम रखा गया है 'किरात नदी में चन्द्र-मधु'। पुस्तक का प्रथम उद्देश्य है 'भारतीय संस्कृति के अन्दर आर्येतर तत्त्वों की महिमा का उद्घाटन'। द्वितीय उद्देश्य है किरात तन्मात्राओं (रूप-रस-गंध-स्पर्श-शब्द) का स्वाद हिन्दी पाठक के लिए सुलभ कराना। प्रस्तुत संग्रह 'निषाद बाँसुरी' और 'मन पवन की नौका' के साथ एक त्रिवर्ग (ट्रिओ लोजी) रचना है।