Hadson Ke Shahar Mein / हादसों के शहर में
Author
: Archana Srivastava
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2004
ISBN
: 9APHKSMP
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: x + 44 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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अनुक्रम, १. सियासत के अनेक चेहरे हैं, २. जिन्दगी दूर थी सवाल हुई, ३. खामोश साँसों पे नज़रों के पहरे, ४. तेरी $गज़लों में मेरे $गम की सियाही होगी, ५. एक रोटी भी नहीं पास में खाने के लिए, ६. रात पलकों पे कई ख्वाब सुहाने होंगे, ७. जि़न्दगी कितनी अजीब सी है, ८. मैंने सूरज तो नहीं माँगा था, ९. जि़न्दगी आम घास लगती है, १०. अपनी गहराइयाँ छूकर देखो, ११. नज़रों की सुराही में भरकर एक जाम पिलाया साकी ने, १२. तुम्हारी मौत भी अहसास यह दिलाती है, १३. आज फिर याद तुम्हारी आई, १४. जीवन को बहलाने की, १५. पेट की भूख भी न मिट पाई, १६. कल यहाँ एक अचम्भा देखा, १७. हर जनम में भावनाओं का यही इतिहास है, १८. सम्भावनाओं की तलाश है, १९. आश्वासन की रोटी खा लो, भाषण का पानी पी लो, २०. इस शहर में फिर धुँआ उठने लगा, २१. रास्ते तो अलग थे पहले से, २२. आँसुओं का गीत गुनगुनाते रहो, २३. जि़न्दगी स्वप्न हो गई शायद, २४. हाथों की लकीरों में तस्वीर तुम्हारी है, २५. मेरी दुनिया उनकी दुनिया से अक्सर मिल जाती है, २६. ये जि़न्दगी के हादसे कितने अजीब हैं, २७. इंसानियत की शक्ल में शैतां मुझे मिलते गए, २८. हादसों के शहर में मेरा ठिकाना है, २९. एक बियाबान कबसे चीखता है, ३०. हर $गज़ल अपनी कहानी कह रही है, ३१. मन्दिर से भगवान हैं गायब, ३२. सवालों में हम कितने खोए हुए हैं, ३३. दर्द सीने में छुपाये रखिये, ३४. सन्देह के खंज़र से इस तरह न मारो मुझको, ३५. दर्द हद से गुज़र न जाए कहीं, ३६. याद फिर आने लगी तन्हाइयाँ, ३७. $कतरा-$कतरा जी रहे हैं जि़न्दगी, ३८. आदमी साँप ही हुआ होता, ३९. एक बच्चा भूख से रोने लगा है, ४०. बन्द पलकों में क्या सुलगता है, ४१. बिना सुर-लय-ताल, ४२. मौत तू इन्तज़ार मेरा कर।