Hindi Gadya : Prakriti Aur Rachna Sandarbha [PB] / हिन्दी गद्य : प्रकृति और रचना सन्दर्भ (पेपर बैक)
Author
: Ramchandra Tiwari
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2004
ISBN
: 8171243797
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 200 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

MRP ₹ 120

Discount 15%

Offer Price ₹ 102

इस पुस्तक में ऐसे निबन्धों का संग्रह है जो हिन्ïदी-गद्य की जातीय प्रकृति को किसी न किसी रूप में रेखांकित करते हैं। इस कृति में पाठकों को 'भारतेन्दु' से लेकर नये कवियों और कथा-लेखिकाओं के गद्य के रंगरूप और प्रकृति का आभास कराने का प्रयास किया गया है। 'भारतेन्दु' के लेखन-काल के पहले से कलकत्ते से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्रों की भाषा की प्रकृति भी उसी हिन्दी से मिलती-जुलती थी जिसे अपनाकर 'भारतेन्दु' आगे बढ़ रहे थे। 'भारतेन्दु' के बाद महावीरप्रसाद द्विवेदी ने उसे परिष्कृत और बाबू बालमुकुन्द गुप्त ने चुस्त-दुरुस्त करके मुहावरेदार बना दिया। उनके बाद 'प्रेमचंद' ने हिन्दी-गद्य की जातीय प्रकृति को विस्तार, वैविध्य और निखार के साथ ही सामाजिक जीवन के यथार्थ से जोड़कर ऐतिहासिक महत्त्व का कार्य किया। 'प्रेमचंद' के गद्य ने सुन्दरता की कसौटी बदल दी। उन्होंने गाँवों, झोपड़ों और खण्डहरों में रहने वाले गरीबों के जीवन-संघर्ष में सौन्दर्य देखा। 'प्रेमचंद' के बाद का हिन्दी-गद्य रचनाकारों की मानसिक सत्ता के विस्तार, समृद्धि, उत्कर्ष और रचनाधर्मिता के बदलते आयामों के साथ बहुवर्णी होता गया है। अब वह जीवन के जटिलतम यथार्थ को व्यक्त करने में पूर्णत: समर्थ है। उसकी सांस्कृतिक समृद्धि आश्वस्त करने वाली है। प्रस्तुत संग्रह के निबन्धों में पाठकों को उसकी इस समृद्धि का आभास मिलेगा। इस कृति में संगृहीत निबन्धों का उद्देश्य मात्र यह स्पष्ट करना है कि हिन्दी-गद्य की मूल प्रकृति न तो संकीर्ण है, न साम्प्रदायिक। उसे हम संघर्षशील हिन्दी-भाषी जनता की सम्पूर्ण मानसिकता के गतिशील प्रतिबिम्ब के रूप में देख सकते हैं।