Nalopakhyanam (Mahabharatantargatam) [Vedvyas] / नलोपाख्यानम् (महाभारतान्तर्गतम्) [वेदव्यास]
Author
: Ganga Sahai Premi
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Sanskrit Literature
Publication Year
: 2004
ISBN
: 8171243789
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: x + 294 Pages, Size : Crown i.e. 17.5 x 12 Cm.

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महाभारत में अनेक रोचक एवं शिक्षाप्रद उपाख्यान भरे हुए हैं। 'नलोपाख्यान' उन्हीं में से एक है। यह महाभारत के वन-पर्व के अन्तर्गत विद्यमान है। इसमें नल एवं दमयन्ती की कथा वर्णित है। महाभारत ही नहीं, समस्त पुराणों की भाषा अत्यन्त सरल है। साथ ही शैली सरस एवं आकर्षक है। युधिष्ठिर जुए में अपने सबकुछ हारकर वनवास कर रहे थे। अर्जुन इन्द्रलोक चले गये तो वे शेष भाइयों एवं द्रौपदी को लेकर द्वैतवन से का यक-वन में आ गये। भीम का आग्रह था कि कौरवों के साथ अविलम्ब युद्ध आरम्भ करा दिया जाये। युधिष्ठिर चिन्ताग्रस्त थे एवं कोई निश्चय नहीं कर पा रहे थे। इसी समय बृहदश्व उनके पास आये। युधिष्ठिïर ने अपनी चिन्ता बृहदश्व को बताई तो उन्होंने नलोपाख्यान सुनाया। इसे सुनाने का उद्देश्य युधिष्ठिर के मनोरंजन के साथ ही उन्हें धैर्य बँधाना भी था। जिस प्रकार नल अकिंचन होकर भी परिस्थितियों से लड़ते रहे, उसी प्रकार युधिष्ठिर को भी संघर्ष करना चाहिए। नल के समान ही उनके भी दिन लौटें।