Nirgun Rachanavali (6 Vols.) (Complete Works or Dwijendra Nath Mishra Nirgun) / निर्गुण रचनावली (6 खण्डों में) [द्विजेन्द्रनाथ मिश्र निर्गुण का सम्पूर्ण साहित्य]
Author
: Dwijendra Nath Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Novels / Fiction / Stories
Publication Year
: 2016
ISBN
: 9789351461302
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: Vol.1-552 Pages; Vol.2-532 Pages, Vol.3-552 Pages; Vol.4-536 Pages; Vol.5-536Pages; Vol.6-664 Pages; 16 Plates, Index, Size : Demy i.e. 22.5 X 14.5 Cm.

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'जब तक प्यार और कला, आस्था और संवेदना, सहानुभूति और संस्कृति समाज के आधार स्तम्भ हैं तभी तक समाज है। 'लेखन का लक्ष्य यह होना चाहिए, जो कुछ लिखा जाय, केवल सामाजिक न होकर, चिर-स्थायी हो। जिन भावनाओं का हृदय और आत्मा से सीधा सम्बन्ध है, वे उसी रूप में रहेंगी। - द्विजेन्द्रनाथ मिश्र 'निर्गुण' ''निर्गुण की कहानियों में पात्रों का चित्रण हृदयग्राही है और इतनी सुन्दरता से किया गया है कि इन कहानियों में मनोरंजन के साथ-साथ सद्शिक्षा भी मिलती है। मर्मस्पर्शी विषयों का निरूपण निर्गुण की क्षमता से परिचय कराता है।' -अयोध्या ङ्क्षसह उपाध्याय 'हरिऔध' '' स्वतंत्रता-बाद के मानसिक-रूप से गुलाम, चारित्रिक रूप से पतित भारतीय समाज को देखना हो तो निर्गुणजी की रचनाएँ देखिये। -डॉ० दशरथ द्विवेदी '' निर्गुण ने केवल कथा की गीली मिट्टïी को कुशल करों का स्पर्श दिया।-गोविन्दप्रसाद श्रीवास्तव '' प्रेमचन्द की कहानियों की तटस्थता, सूक्ष्म-दृष्टिï, सरलता, सुबोधता के सूत्र निर्गुण की कहानियों में सहज ही प्राप्त हैं। रचना-शिल्प की अकृत्रिमता और स्वाभाविकता मन को मोह लेती है। -डॉ० लक्ष्मीनारायण लाल '' वे उस पुरानी परिपाटी के कथाकार हैं जिनमें चमत्कार कम पर वास्तविक सत्य अधिक होता है। उनका जीवन का अनुभव बड़ा है, इसलिए उनकी कहानियों में वैचित्र्य और विभिन्नता है, रस है, बल है।-श्रीपत राय