Atindriya Lok / अतीन्द्रिय लोक
Author
: Govind Prasad Srivastava
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171248025
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 120 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

MRP ₹ 60

Discount 15%

Offer Price ₹ 51

अतीन्द्रिय लोक

सभ्यता के आदिकाल से ही मनुष्य सदा से मन में यह जिज्ञासा लिये रहा-'क्या इस संसार से पृथक कोई और भी संसार है? शरीर छूटने पर यह आत्मा किस लोक में जाती है? यदि पुनर्जन्म होता है तो पुनर्जन्म के पूर्व आत्मा का कहाँ और किस रूप में वास होता है? क्या प्रेत लोक करके कोई लोक है अथवा यह केवल मन का एक कल्पित भय है।' ये प्रश्न तब भी आदमी के मन में उठते थे और आज भी हमारे आपके मन में उठते हैं। कुछ लोगों ने अपने-अपने ढंग से इन प्रश्नों का समाधान ढूँढ़ा; किन्तु अधिकांश लोगों के लिये ये प्रश्न अनुत्तरित ही रह गये-समुचित समाधान नहीं मिल सका। इन प्रश्नों के अतिरिक्त हम आप सबके जीवन में कई बार ऐसी घटनाएँ घटती हैं जिनका उत्तर बुद्धि की तुला पर नहीं दिया जा सकता। ऐसी घटनाओं को हम केवल मूक-दर्शक के रूप में देखते हैं और विस्मित होते हैं। हमारी इन्द्रियाँ जिसे प्रत्यक्ष रूप से देख रही हैं, सुन रही हैं और जिनका समाधान या उत्तर बुद्धि की कसौटी पर है-ऐसी सभी घटनाएँ-ऐसे सभी सुखद-दु:खद अनुभव अलौकिक कहे जायेंगे। इसका तात्पर्य यह हुआ कि ऐसी सभी घटनाएँ जिनको हमारी बुद्धि अपनी तुला पर उत्तरित नहीं कर सकती है कि ये घटनाएँ किस कारण से घटित हुईं वे अलौकिक घटनाएँ हैं। इनका कोई समाधान हमारे पास नहीं है या यों कहें कि वे हमारी इन्द्रियों के समझने की क्षमता से परे की घटनाएँ हैं। वे एक ऐसे लोक से जुड़ी प्रतीत होती हैं जहाँ हमारी बुद्धि संतोषजनक समाधान ढूँढऩे में असमर्थ हो जाती है। इन्द्रियों द्वारा सन्तोषजनक ढंग से ऐसी घटनाओं का कोई हल मानव-मस्तिष्क को नहीं मिलता। इसलिये इस प्रकार की घटनाओं को हम 'अतीन्द्रिय लोक' से सम्बद्ध मानते हैं अर्थात् ऐसी विस्मित करने वाली घटनाएँ उस लोक से सम्बद्ध हैं जिसमें हमारी इन्द्रियों की पहुँच नहीं है। इन्द्रियों से इतर या परे होने के कारण वह अतीन्द्रिय लोक है। 
ऐसी विस्मयकारी घटनाएँ व्यक्तिगत अनुभूति में भी आती हैं और कभी-कभी ऐसे विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से भी आती हैं जिन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। इन अलौकिक अनुभवों के साथ ही हम उन सिद्धि प्राप्त संतों को भी उसी वर्ग में रख सकते हैं जिनकी जीवनी और जीवन से जुड़ी घटनाएँ उस परम सत्ता की दिव्य शक्ति में हमारी आस्था की पोषक है। अध्यात्म जगत के इन प्रकाश-पुंजो पर अलग से प्रस्तुति करने का प्रयास करूँगा।
मैं विनम्रतापूर्वक निवेदन करना चाहूँगा कि इस पुस्तक को लिखने का ध्येय आपका मनोरंजन नहीं है, बल्कि इस पुस्तक के लिखने के पीछे यह आशा है कि आपकी आध्यात्मिक जिज्ञासा जागृत होगी और अपने लिये इन पन्नों से कुछ न कुछ मार्गदर्शन के संकेत ढूँढ़ लेगी।
इस ईश्वरीय सत्ता के चरणों में शत-शत नमन करते हुए मैं आशा करता हूँ, इस पुस्तक के पृष्ठ आपको आध्यात्मिक उत्थान की दिशा में अग्रसर करेंगे।