Swatantrata Aandolan Aur Banaras / स्वतन्त्रता-आन्दोलन और बनारस
Author
: Thakur Prasad Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Bio/Auto-Biographies/Patriotic Literature
Publication Year
: 2024, 2nd Edition
ISBN
: 9789387643956
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 260 Pages; 20 Photo; Size Demy i.e. 22 x 14 Cm.

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स्वतन्त्रता-आन्दोलन और बनारस
ठाकुर प्रसाद सिंह
सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से तो वाराणसी का महत्त्व सर्वविदित है ही, स्वतन्त्रता-संघर्ष के लम्बे दौर में भी वाराणसी की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। वह अंग्रेजों के बंगाल के समुद्रतटवर्ती क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी का अधिकार शाह आलम से प्राप्त करने से लेकर अवध की बेगमों पर असहनीय अत्याचार करने तक की लगभग सभी प्रमुख घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी रहा है। मध्ययुगीन-संस्कारों से बाहर निकलकर आधुनिक समस्याओं से टकराने वाले इस नगरक्षेत्र ने कभी भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र ऐसी अद्भुत प्रतिभा को जन्म देने का गौरव प्राप्त किया था। 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता-संग्राम से केवल सात वर्ष पूर्व 1850 में जनमे भारतेन्दु बाबू ने 1885 ई. में आँखें मूँदीं तभी इस देश की परतन्त्रता के अपमान से मुक्त करने की प्रतिज्ञा के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस ने जन्म लिया। इस तरह देखा जाय तो भारतेन्दु के माध्यम से वाराणसी ने नये जागरण की अगुवाई की। आगे चलकर जब क्रान्तिकारी आन्दोलन प्रबल हुआ तो वाराणसी ने बंगाल और पंजाब के क्रान्तिकारी संगठनों के बीच एक सम्पर्क-बिन्दु का काम किया और अपनी उलझी हुई गलियों के भीतर श्री रासबिहारी बोस सहित कितने ही क्रान्तिकारियों को शरण दी।
स्वतन्त्रता संग्राम का इतिहास बड़ा व्यापक है। वाराणसी जनपद की गतिविधियों का समूचा इतिहास दे पाना गागर में सागर भरने के समान है और कठिन है। फिर भी यथासंभव अधिक से अधिक सेनानियों के जीवन का सिंहावलोकन कर, उनके सुयश को सम्मानित करने एवं तथ्यों की रक्षा करने का प्रयास इस ग्रन्थ में किया गया है।