Chaiti / चैती
Author
: Shanti Jain
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Music, Dance, Natyashastra etc.
Publication Year
: 2012
ISBN
: 9788171248896
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xiv + 114 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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गीत मधुमास के साहित्य में चैत के महीने को मधुमास की संज्ञा दी गई है। नाम संबंध से मधुमास के गीत अर्थातï् चैती गीत बड़े सरस, मोहक और लुभावने होते हैं। चैती सीमित क्षेत्र की अत्यन्त कर्णप्रिय गीतशैली है, जो बिहार तथा उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से प्रचलित है। इसका गायन फाल्गुन पूॢणमा की रात से आरंभ होकर संपूर्ण चैत्रमास तक चलता रहता है। वसन्त की परिधि में आने के कारण इन गीतों में मधुऋतु की मादकता सहज स्वाभाविक रूप से दिखाई पड़ती है। वासन्ती शृंगार भाव इन गीतों से छलक छलक पड़ता है। मात्र मादकता एवं शृंगार ही नहीं, चैती गीतों की करुणा भी अपने ढंग की अनोखी है- नइ भेजे पतिया आयल चैत उतपतिया हो रामा। इस चैती गीत में नायिका की करुणा और प्रियतम के प्रति उपालंभ दोनों का चित्रण हुआ है। मैथिली चैतावर में करुण रस की व्यंजना अपेक्षाकृत अधिक हुई है। सांगीतिक दृष्ïिट से चैती गीतों की सरसता एवं कमनीयता का कहना ही क्या? चैत के महीने में गदराई अमराइयों में कोकिल के स्वरों के साथ गाँवों में गूँजते हैं, सामूहिक चैती के स्वर ढोल-मजीरे के साथ। सारा वातावरण संगीत के रस से सराबोर हो जाता है।