Mugalkalin Sarkar Tatha Prashasnik Sanrachana / मुगलकालीन सरकार तथा प्रशासनिक संरचना
Author
: Usha Rani Bansal
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2007
ISBN
: 8171245358
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii+188 pages, Biblio, Append, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

MRP ₹ 100

Discount 15%

Offer Price ₹ 85

भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने सन् 1526 में लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी को पानीपत के युद्ध में परास्त करके की। बाबर एशिया की दो प्रमुख जातियों चंगेज खाँ तथा तैमूर से सम्बन्ध रखता था। बाबर के वंश का नाम मुगल वास्तव में तुर्कों की चगतई शाखा के नाम पर था। इस शाखा का नाम मुगल चंगेज खाँ मंगोल के दूसरे पुत्र के नाम पर पड़ा था, जिसके अधिकार में मध्य एशिया तथा तुर्कों का देश तुॢकस्तान था। भारत पर मुगल आक्रान्ता बाबर के आक्रमण का इतिहास वस्तुत: समानधर्मी मुगल तथा अफगान संघर्ष की कहानी है। बाबर के बाद हुमायूँ का 1520 में राज्यारोहण तथा 1540 में अफगान शेरशाह द्वारा हुमायूँ को भारत से बाहर निकाल कर अफगान राज्य की स्थापना और पुन: 1555 में हुमायूँ का भारत में मुगल राज्य की स्थापना इसी अफगान मुगल संघर्ष का इतिहास है। बाबर जिसने भारत में मुगल वंश की नींव डाली, वह 1526 से 1530 ई० तक युद्धों में व्यस्त रहा। अत: शासन और सरकार की स्थापना की ओर ध्यान नहीं दे सका। उसने तत्कालीन राजाध्यक्ष का नाम 'सुल्तान मिर्जा आमिरÓ के स्थान पर पादशाह करके उसे नये सोपान पर बिठाने का कार्य किया। हुमायूँ का सारा समय युद्ध व कठिनाइयों के समाधान में निकल गया। उसमें प्रशासनिक पद्धति की कोई संकल्पना ही न थी। शेरशाह जो हुमायूँ तथा अकबर के अन्तराल में आया उसने एक निश्चित प्रशासनिक व्यवस्था प्रारम्भ करने का कार्य किया। मुगल वंश में अकबर ने एक निश्चित प्रशासनिक व्यवस्था तथा सरकार बनाने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। यह व्यवस्था जहाँगीर, शाहजहाँ और औरंगजेब के शासन काल में आंशिक परिवर्तनों के साथ चलती रही। परवर्ती मुगल शासकों में इतनी योग्यता ही न थी कि वह कोई नई प्रशासनिक व्यवस्था बना सके। अत: भारत में अंग्रेजी भारत की स्थापना 1857 तक अकबर द्वारा स्थापित प्रशासनिक व्यवस्था का ढाँचा आंशिक परिवर्तन के साथ बरकरार रहा। प्रस्तुत ग्रन्थ में भारत में मुगल बादशाहों की प्रशासनिक संरचना तथा सरकार का वर्णन किया गया है। मध्यकालीन भारत के इतिहास पर अनेक पाठ्य पुस्तकें हैं किन्तु मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था पर हिन्दी भाषा में पुस्तकों का अभाव ही है। इस अभाव को पूरा करने के लिये उपलब्ध सामग्री के आधार पर मुगलकालीन सरकार तथा प्रशासनिक व्यवस्था का वर्णन किया गया है।