Yoga Sadhana : Adhunika Pariprekshya Mein / योग साधना : आधुनिक परिप्रेक्ष्य में
Author
: Khemchandra Chaturvedi
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Yoga, Meditation, Health & Treatment
Publication Year
: 2007
ISBN
: 8171245331
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 128 Pages, Biblio, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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मानव के अन्तर्मन में जो शुद्ध बुद्धि चैतन्य अमर सत्ता है वही परमात्मा है। मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार के चतुष्टय से युक्त चेतन को जीवन या परमात्मा कहते हैं। यह परमात्मा से भिन्न भी है, अभिन्न भी। इसे द्वैत भी कहते हैं, अद्वैत भी। जैसे अग्नि से ही चिन्गारी निकलती है, चिन्गारी को अग्नि से अलग कहा जा सकता है, पर अग्नि बिना चिन्गारी का कोई अस्तित्व नहीं। परमात्मा अग्नि, जीव चिन्गारी है, दोनों अलग भी है और एक भी। गीता में इन दोनों का अस्तित्व स्वीकारते हुए एक को क्षर दूसरे को अक्षर कहा गया है। आत्मिक एकता, दोनों के मिलन मेंं ही सुख है, इसी को यौगिक शब्दावली में जीवात्मा परमात्मा का मिलन कह सकते हैं। इस मिलन का ही दूसरा नाम 'योगÓ है। भारतीय मनोविज्ञान के अनुसार यह योग पद्धति श्रेष्ठ है क्योंकि इसमें मनुष्य की रुचि और प्रवृत्ति ऊँची रहती है। सात्विकता, देवत्व को विकसित करने का प्रचुर अवसर मिलता है। मन शुद्ध होता है, मन को शान्ति, एकाग्रता मिलती है, आध्यात्मिक शक्तियाँ बढ़ती है। आज योग विद्या को सही दृष्टि से अपनाने की आवश्यकता है। मात्र आसन प्राणायम ही योग नहीं, वास्तविक महत्त्व आन्तरिक साधना का ही है।