Aaj Bhi Vahi Banarasa Hai / आज भी वही बनारस है
Author
: Vishwambharnath Tripathi
  Ramlakhan Maurya
  Bachchan Singh (Journalist)
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Benares / Kashi / Varanasi / Ganga
Publication Year
: 2007
ISBN
: 8171245579
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxviii + 120 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

MRP ₹ 150

Discount 20%

Offer Price ₹ 120

बनारस हास-परिहास का गढ़ रहा है। यहाँ भारतेन्दु से आरम्भ करके अन्नपूर्णानन्द, बेढ़ब, बेधड़क, भैयाजी, चोंच, कौतुक प्रभृत अनेक दिग्गज मैदान में बनारसीपन की छटा बिखेरते रहे हैं और इस दौर में बड़ेगुरु मौन, स्वान्त: सुखाय साधना करते रहे। अखबारों में उनकी रचनाएँ एक आभूषण की तरह चिपकी रही हैं पर उनका मूल्यांकन हुआ ही नहीं। आज उनकी रचनाओंं पर दृष्टिपात करें तो समझ में आएगा कि बड़ेगुरु वास्तव में बनारसीपन के सर्वश्रेष्ठ प्रथम श्रेणी के रचनाकार हैं। यही नहीं विरल संयोग है कि वे कवि होने के साथ साथ चित्रकार भी हैं। इस वर्तमान काव्य संग्रह 'आज भी वही बनारस है' की 40 रचनाएँ बड़ेगुरु के बनाए कार्टूनों से सुसज्जित हैं अर्थात् सोने में सुहागा भी मिला है। इनमें व्यंग्यकार की दृष्टि से राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर दृष्टि डाली गई है, समाज और सामाजिक रीति-रिवाजों और कुरीतियों की भी खबर ली गई है। इसमें नेता हैं, लक्ष्मीवाहन है, तटस्थ हैं, अमेरिकी गेहूँ है, राजलीला है, लाढ़ेराम है, उग्रवाद, आतंकवाद और अणुबम है, खतरे का भोंपा है, पूर्ण शान्ति है, और नाक में दम कि मृत्यु का कौन ठिकाना। समझदार की मौत आशा है कल का दिन होगा सुनहला। समाज की दु:खती रग पर हास्य-व्यंग्य की नश्तर लगाती ये रचनाएँ बेजोड़ हैं।