Namalooma Rishton Ka Dansha / नामालूम रिश्तों का दंश
Author
: Niharika
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Novels / Fiction / Stories
Publication Year
: 2007
ISBN
: 9788189498085
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 124 Pages, Size : Demy i.e. 22 X 14 Cm.

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यह देखकर सुखद आश्चर्य होता है कि एक नई लेखिका के पहले कथा संग्रह 'नामालूम रिश्तों का दंश' की कहानियाँ, जल्दबाजी में लिखी गई कहानियों की कोटि में बिलकुल नहीं आतीं। नई गढ़ी शब्दावली या चमत्कारिक करिश्मों का मोह भी नहीं दिखता इनमें। बड़े यत्न से चुपचाप व्यक्ति मन की गहराइयों में उतरने का चाव है इन कहानियों में। राहत इस बात की भी है कि नई होने के बावजूद 'विमर्शी' मायाजाल के चालू फार्मूलों से भी पूरी तरह मुक्त हैं ये। यद्यपि अधिकांश कहानियाँ परिवार और स्त्री-पुरुष सम् बन्धों के प्रचलित कथ्यों को लेकर चली हैं, लेकिन लेखिका की खूबी प्रचलित और रूढ़ के बीच से संवेदना और सम्बन्धों के नये मुहावरे गढऩे में है। पति-पत्नी सम्बन्धों की बेहद बारीक उलझनों को बड़ी सहजता से उजागर कर ले गई हैं ये कहानियाँ, वह भी रोजमर्रा के बेहद आसान शब्दों में। इस समूची प्रक्रिया में न कहीं इनका कहानीपन बाधित होता है, न वे विचारों के दबाव से आक्रांत दिखती हैं। 'नामालूम रिश्तों का दंश' तथा 'अद्र्धांगिनी' जैसी अनेक कहानियों में स्थितियों, मन:स्थितियों और अन्र्तद्वन्द्वों का एक अवसादी किन्तु सम्मोहक इन्द्रजाल फैला है जो विचार और भावना दोनों स्तरों पर पढऩे वालों को उद्वेलित भी करता है, सोचने पर विवश भी। स्त्री की गरिमा को बड़े यत्न से सहेजा गया है इन कहानियों में। कई प्रसंगों पर पढऩे वाले का औत्सुक्य अपने चरम पर पहुँचता है और स्त्री-पात्रों द्वारा लिया जाने वाला निर्णय, अप्रत्याशित होने के बावजूद चकित और अभिभूत करता है। इसलिए भी क्योंकि जीवन और सम्बन्धों को बेहद निष्कलुषता से जी लेने की एक पवित्र जिद सी ठान बैठते हैं ये स्त्री-पात्र। यूँ भी पुरुष हो या स्त्री इन कहानियों के पात्र थोड़े ज्यादा भावुक होने के बावजूद विचारशील और अतिशय दृष्टि-सम्पन्न हैं। —डॉ० सूर्यबाला