Hindi Ki Shreshtha Kahaniyan / हिन्दी की श्रेष्ठï कहानियाँ
Author
: Purushottam Das Modi
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Novels / Fiction / Stories
Publication Year
: 2008
ISBN
: 9788171246519
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xv + 288 pages, Biblio, Demy : Size 22.5 X 14.5 Cm.

MRP ₹ 250

Discount 20%

Offer Price ₹ 200

इस संकलन में कहानियों के चयन का आधार भाषा और शिल्प की दुरूहता नहीं वरन् विषयवस्तु की सहज अभिव्यक्ति और संप्रेषणीयता है। लगभग सभी कहानियाँ अपने समय, समाज और देश-काल का प्रतिनिधित्व करती हैं—किसी गुट या वाद से परे। इस तरह की और बहुत-सी कहानियाँ हैं लेकिन स्थान-सीमा के कारण सभी को या ज्यादातर को ले पाना संभव नहीं हो सका। लेकिन इसमें पुराने और नए कथाकारों का समन्वय जरूर है। विष्णु प्रभाकर की 'मुरब्बी' आदमी और आदमी के बीच के मानवीय सम्बन्ध की सर्वोपरिता की अभिव्यक्ति है जो धर्म और सम्प्रदाय से परे है। निर्गुणजी की कहानी 'हारूंगी नहीं' एक खूबसूरत विधवा युवती की कथा है जो एक साथ कई मोर्चे पर लड़ती है। हर्षनाथ की कहानी 'खंडहर का बादशाह' में जमींदारी चली जाने के बाद भी विपन्नता में पल रहे बेटे द्वारा पुरखों की शान के निर्वाह का चित्रण है । रामदरश मिश्र की कहानी 'पशुओं के बीच' में सरपंच सिमंगल वृद्ध विधवा कलेना का घर हड़प लेते हैं और गाँव में कोई सुगबुगाहट नहीं होती। ग्राम कथाकार विवेकी राय की कहानी 'आकाश वृत्ति' में खेतों में लहलहाती फसल के ओले से बरबाद हो जाने के बाद निरीह किसानों की मन:स्थिति का मार्मिक वर्णन है। ठाकुर प्रसाद सिंह की कहानी मौजूदा समाज में तेजी से पनप रहे खुलेपन पर आधारित है। अमरकांत की कहानी 'जिंदगी और जोंक' में एक मरियल व्यक्ति की जीने की अभिलाषा जोंक की तरह उसकी छीन चुकी जिंदगी में लिपटी है। धर्मवीर भारती की 'गुलकी बन्नो' में पति को परमेश्वर समझनेवाली पारम्परिक और चरित्रभ्रष्ट पति को तिरस्कृत करनेवाली आधुनिक सोच के बीच संघर्ष है। शिवप्रसाद सिंह की 'आदमखोर पैंथर' जमींदार के खिलाफ दलितों का प्रतिरोध, दलित नेताओं द्वारा जमींदार से गुप्त समझौता और भ्रष्ट पुलिस (व्यवस्था) का त्रिकोण प्रस्तुत करती है। मनु शर्मा की कहानी 'लंगड़ा हाजी' माफिया और अपराधियों द्वारा भोले हजयात्रियों को ठगे जाने का गहरा चित्रण है तो राजी सेठ की कहानी 'कब तक' में सास द्वारा एक घरेलू नौकर को बात-बात पर प्रताडि़त किए जाने और बहू द्वारा उसके प्रति सहानुभूति की विवश संवेदना है। डॉ.विश्वनाथप्रसाद की 'प्याज के छिलके' में मध्यवर्ग की अकेली घुटती हुई नारी का दर्द है। नारी सशक्तीकरण की कथाकार प्रतिमा वर्मा की 'दूरस्थ' कहानी इसी कारण चर्चित रही। गोविंद मिश्र की कहानी 'आल्हखंड' में मूल धरती से लगाव का संवेदनात्मक वर्णन है। रवीन्द्र कालिया की कहानी 'काला रजिस्टर' सरकारी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोलती है तो ममता कालिया की कहानी 'मा' उस परबसता का बोध कराती है जिसमें बहू की हैसियत खूंटे से बँधी उस गाय जैसी होती है जो अपने मालिक के रहमोकरम पर जीती है। बच्चन सिंह की कहानी 'मायाजाल' गाँव के निम्नवर्गीय युवक की सरकारी नौकरी से छंटनी की त्रासदी, अंधविश्वास और उपभोक्ता संस्कृति के फैलाव के भावबोध की सशक्त अभिव्यक्ति है। अखिलेश की कहानी 'मुक्ति' में राजनीति में बिरादरीवाद जैसी विद्रूपताओं, युवा-शक्ति की उलझनपूर्ण दिशाहीनता उभारी गई है तो संजीव की 'मांद' एक ऐसे परिवार की कथा है जो सम्पत्ति के लालच में अपने अल्पवयस्क पुत्र की शादी पड़ोस के धनाड्य व्यक्ति की एकमात्र पुत्री से कर देता है, पर बाद में न तो उसे सम्पत्ति मिलती है और न बहू। 'दरारें' के बारे में स्वयं शैलबाला कहती हैं—'कोई अपनी इच्छा से नहीं लड़ रहा, पर कहीं सब लडऩे के लिए मजबूर हैं। 'सहमे हुए' कहानी में महीप सिंह ने देश के विभाजन के बाद के साम्प्रदायिक दंगों से सहमे हुए लोगों का बेहद मार्मिक चित्र खींचा है। मालचनन्द निवाड़ी की कहानी 'पानीदार' में धनी सेठानी की धन के प्रति हवस इतनी बढ़ जाती है कि वह एक गरीब व्यक्ति के गहने चुरा लेती है। नीरजा माधव ने कांवेण्ट स्कूलों के जरिए ईसाइयत के विस्तार और अपसंस्कृति के भारतीय संस्कृति एवं जीवन-दर्शन पर छद्म प्रहार को पाठकों तक सम्प्रेषित किया है।