Swar Se Samadhi / स्वर से समाधि
Author
: Krishnanandaji Maharaj
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Yoga, Meditation, Health & Treatment
Publication Year
: 2017, 4th Edition
ISBN
: 9788171245970
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xx + 164 Pages, Size : Demy i.e. 21 X 14 Cm.

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स्वर से समाधि
इस पुस्तक 'स्वर से समाधि' में स्वामी कृष्णानन्दजी अपने अनुभव के आधार पर बतलाया है कि ज्ञान और सत्य की प्राप्ति 'स्वर साधना' से ही सहजयोग के जरिये प्राप्त हो सकती है। किसी भी आध्यात्मिक साधना का उद्देश्य मुख्य रूप से यह होता है कि आत्मिक आनन्द की अनूभूति की जाये। इस आनन्द का अनुभव समाधि की स्थिति में ही होता है। स्वर साधना एक सहजयोग की साधना है और उसमें किसी भयंकर परिस्थिति का उत्पन्न होना सम्भव नहीं है। बुद्ध ने भी स्वर साधना पर ही बल दिया। बुद्ध के मार्ग में सबसे अधिक बल 'आनापान सति' के अभ्यास पर दिया जाता है। 'आनापान सति' के अभ्यास में साधक प्राण और अपान के आने और जाने की अपनी स्मृति में लगा रहा है और जैसे-जैसे इसका अभ्यास बढ़ता जाता है। वह ध्यान और समाधि की तरफ अग्रसर होता जाता है। उपनिषदों में भी सोहम अथवा हंस मंत्र में हम कहते हुए श्वांस लेता है और स: कहते हुए छोड़ता है। यह एक स्वर साधना का ही प्रकारान्तर है। स्वर के अभ्यास से आत्मा के सारे क्लेश नष्ट हो जाते हैं और प्राणी पापों से निवृत्त हो जाता है और कालान्तर में निराकार परमात्मा का अनुभव प्राप्त कर लेता है। इस स्वर साधना से योगी तीनों लोकों का ज्ञाता हो जाता है और जीवन में पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त कर लेता है तथा अपनी स्वेच्छा से अपने शरीर का त्याग भी कर देता है। स्वर के योगी के लिए संसार छोड़कर जाने की आवश्यकता नहीं है। यह पुस्तक 'स्वर से समाधि' सहजयोग की अत्यन्त उत्तम विधि को विस्तार से वर्णन करती है।