Lokgiton Ke Sandarbh aur Ayam / लोकगीतों के संदर्भ और आयाम
Author
: Shanti Jain
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2019 - 2nd Edition
ISBN
: 9789387643123
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxiv + 712 Pages, Index, Biblio., 17 Photo, Size : Demy i.e. 21.5 x 14.5 Cm.
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लोकगीतों के सन्दर्भ और आयाम
वेदवाणी से मुखरित, मंत्रों से अभिसिक्त, तपोपूत, तैतीस कोटि देवताओं की आशीषधारा से सिंचित भारत वसुन्धरा सदियों से विश्व में अपना एक अलग स्वरूप सिंगार लिये खड़ी है। मन्दिरों में गूँजते प्रार्थना के स्वर, मस्जिदों की अजान, गुरुद्वारों के सबद कीर्तन, खेतों की लहलहाती फसलों के बीच और घरों में चक्की चलाते हुए हाथों की चूड़ियों की खनक के बीच लोकगीतों के मीठे स्वरों में इस देश की संस्कृति साकार रही है।
शाश्वत सत्य है कि लोकगीतों में हमारे संस्कारों की आत्मा है। श्रुतिपरम्परा की इस विधा में कृत्रिमता का कहीं स्थान नहीं। हर अवसर, हर ऋतु, हर रंग में गाये जाने वाले ये गीत सहज ही लोगों को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं। भले ही उनकी भाषा समझ से परे हो किन्तु स्वर और लय को भाषा के आधार की अनिवार्यता नहीं होती।
'लोकगीतों के सन्दर्भ और आयाम' शीर्षक यह वृहदाकार ग्रन्थ डा. शान्ति जैन के कई वर्षों के श्रम का प्रतिफल है, जिसका यह दूसरा संस्करण इस बात का प्रमाण है कि इस ग्रन्थ को काफी लोकप्रियता मिली है। इस ग्रन्थ का महत्त्व इस बात से भी स्पष्ट है कि इसके लिए डा. शान्ति जैन को के.के. बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा वर्ष 2006 का प्रतिष्ठित 'शंकर सम्मान' मिल चुका है। इनकी एक पुस्तक 'चैती' भी राजभाषा विभाग, बिहार से पुरस्कृत हो चुकी है।
डा. शान्ति जैन को मैं लम्बे अरसे से एक संवेदनशील कलाकार, कवयित्री और लेखिका के रूप में जानता हूँ। लोक संगीत, साहित्य और कविता की इनकी लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं।
लोकजीवन और लोक संस्कृति पर आधारित यह ग्रन्थ सुधीजनों में पुन: समादृत होगा, ऐसा विश्वास है।
- डा. बिन्देश्वर पाठक