Madhyayugin Hindi Sant Sahitya Aur Ravindranath / मध्ययुगीन हिन्दी संत साहित्य और रवीन्द्रनाथ
Author
: Rameshwar Mishra
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 1989
ISBN
: 817124033X
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxvi + 194 Pages, Append., Biblio., Size : Demy i.e. 22.5 x 14 Cm.

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प्रस्तुत शोधग्रंथ में रवीन्द्रनाथ और मध्ययुगीन संत कवियों की विचारधारा तथा अध्यात्मचेतना का व्यवस्थित अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। रवीन्द्रनाथ और उनकी गीतांजलि पर कबीर आदि संतों के प्रभाव के सम्बन्ध में जो विवाद चल रहा था उस सम्बन्ध में वस्तुगत प्रमाणों सहित संतुलित विवेचन और निष्कर्ष प्रस्तुत किया गया है। गीतांजलि के प्रकाशन तथा रवीन्द्रनाथ को नोबल पुरस्कार की प्राप्ति के पश्चात् बहुत से पाश्चात्य विद्वानों ने रवीन्द्रनाथ को पाश्चात्य चिन्तन तथा ईसाई भक्ति संगीत से प्रभावित बताया और गीतांजलि को इस प्रभाव का परिणाम घोषित किया। ऐसे विचारकों की दृष्टि में रवीन्द्रनाथ ने पाश्चात्य विचारों को पूर्वी जामा पहनाया। कई भारतीय विचारक इस प्रकार के वक्तव्य से मर्माहत हुए तथा उन्होंने वेद, उपनिषद् और कबीर, दादू, नानक आदि मध्ययुगीन संतों का साक्ष्य देकर प्रमाणित किया कि रवीन्द्रनाथ के विचार पूर्णत: भारतीय विचारधारा के अन्तर्गत है तथा उन्हें पाश्चात्य कहना मूर्खतापूर्ण है। ऐसे विचारकों में डॉ० कुमारस्वामी,डॉ० राधाकृष्णन् तथा शांतिनिकेतन के श्री अजित कुमार चक्रवर्ती का नाम उल्लेखनीय है। परवर्ती विद्वानों तथा शोधकर्ताओं ने भारतीय विचारधारा के अन्तर्गत उपनिषद्, वैष्णवमत तथा बंगाल के बाउलमत के साथ रवीन्द्र चिन्तन के संबंध तथा साम्य वैषमम्य का व्यवस्थित अध्ययन प्रस्तुत किया किन्तु दुर्भाग्यवश संत साहित्य उपेक्षित रहा और इस विषय पर कोई स्वतंत्र कार्य नहीं हो सका। प्रस्तुत अध्ययन में इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया गया है। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो सकेगा कि रवीन्द्रमानस के निर्माण में संपूर्ण भारतीय चिंतन का जो योगदान है उसमें हिन्दी के संतों की वाणियों का क्या स्थान है।