Dvandva / द्वन्द्व
Author
: Arun Kumar Keshari
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 1994
ISBN
: 817124128X
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 96 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.
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अरुण कमार केशरी की सहज नैसॢगक कविता दैनिक जीवन के परिवेश से उठकर जीवन के कुरुक्षेत्र में लड़कर, अनेक दुखान्तिकाएँ झेलकर, विजय की आकांक्षाएँ संजोकर कोई पुराना या नया मिथक बन जाने का प्रयत्न करती रहती है। हम इसे कथ्य का पौरुष और कला का सुसंगठन कह सकते हैं।
'द्वन्द्वÓ कवि की दूसरी कविता पुस्तक है। पहली पुस्तक 'चीखÓ ठीक युवावस्था में पाँच वर्षों पूर्व प्रकाशित हुई तब कवियों और समीक्षकों को कवि के आकस्मिक अरुणोदय पर सामान्य से अधिक विस्मय इस कारण हुआ मानों वाराणसी के ही कबीर और धूमिल की कविता अपने मुहावरों और उक्ति प्रभावोंं के साथ पुन: सामने आ रही है।
कविता जीवन का संग्राम होने के साथ उसका शृंगार भी तो है। संग्राम कविता का साधन है, शृंगार उसका साधक। तुलसी के 'मंगलानां च कत्र्तारौ...........Ó में दोनों की एक साथ प्रतीति होती है।
जब हम जीवनसंग्राम में वामन की भाँति पृथ्वी की माप, अगस्त की भाँति सागर का पान और मोहिनी की भाँति अमृत का वितरण करने की क्षमता अपने में नहीं उत्पन्न कर पाए तथा केवल 'वादÓ विशेष के अर्थहीन सुंदर फार्मूले की आवृत्ति की भाँति 'रही किनारे बैठÓ की स्थिति बन जाएँगे।
'द्वन्द्वÓ में कविता का धरातल यहाँ है :
उसने कल की कविता आज
इस आशा के साथ
लिखी
कि
जनमत का यथार्थ ही कविता है