Andhere Mein : Eka Punarvichara (Mulyankana Aur Patha) / अँधेरे में : एक पुनर्विचार (मूल्यांकन और पाठ)
					
					 
					Author
						: Vashistha Anoop
						Language
						: Hindi
						Book Type
						: Text Book
						Category
						: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
						
						Publication Year
						: 2021
						ISBN
						: 9788171247301
						Binding Type
						: Paper Back
						Bibliography
						: iv + 188 Pages,  Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
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'अँधेरे में' : एक पुनर्विचार
'अँधेरे में' मुक्तिबोध की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और उतनी ही विवादित कविता है। अपनी शैली, शिल्प, संरचना और प्रयोगों के कारण यह कविता कुछ खास तरह की जटिलताओं और विशिष्टताओं से भरी है। यह कविता कहीं निराला की 'राम की शक्तिपूजा' के साथ खड़ी होती दिखती है। शक्तिपूजा के राम और अँधेरे में का काव्य-नायक दोनों अँधेरी शक्तियों से भिडऩे और विजय पाने के लिए प्रयारत हैं। दोनों में ही शक्तियाँ अन्यायियों-अपराधियों के साथ हैं। लेकिन दोनों में अपराजेय जुझारूपन और विश्वास भी है।
विषय-क्रम
1. 'अँधेरे में' का प्रतिपाद्य : एक पुनर्विचार : शिवकुमार मिश्र / 2. 'अँधेरे में' : प्रगतिवादी काव्य-स्वर का आदर्श और उसकी सीमा : रामदरश मिश्र / 3. 'अँधेरे में' : नए मार्क्सवादी सौन्दर्यशास्त्र की तलाश : बच्चन सिंह / 4. वह रहस्यमय व्यक्ति-अब तक न पायी गयी मेरी अभिव्यक्ति है : परमानन्द श्रीवास्तव / 5. 'अँधेरे में': स्वप्न-कथा के माध्यम से कही गई एक सत्य-कथा : राजेन्द्र कुमार / 6. 'जूझना ही तै है — अँधेरे में' : चन्द्रकला त्रिपाठी / 7. अँधेरे में : सामाजिक परिवर्तन की पहल : सुरेन्द्र प्रताप / 8. 'अँधेरे में' : एक क्रान्तिकारी व्यक्तित्व की तलाश : वशिष्ठ अनूप / 9. मुक्ति का स्वप्न : कृष्णमोहन / पाठ : अँधेरे में : गजानन माधव मुक्तिबोध।