Gupta Samrajya [PB] / गुप्त साम्राज्य [राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक इतिहास] (पेपर बैक)
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Author
: Parmeshwari Lal Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171247264
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xx + 688 Pages; 16 Plates; Appends; Size : Demy i
MRP ₹ 450
Discount 15%
Offer Price ₹ 383
प्रस्तुत ग्रन्थ अपने स्वरूप में अब तक प्रस्तुत अन्य सभी ग्रन्थों से सर्वथा भिन्न है। मेरे अनेक मित्रों ने, जिन्होंने इसे पाण्डुलिपि अथवा मुद्रित फार्मों के रूप में देखा है, इसे 'गुप्त-कालीन इतिहास-कोशÓ की संज्ञा दी है। यह संज्ञा ग्रन्थ के लिए कितनी सार्थक है, यह तो मैं नहीं कह सकता। इतना ही कह सकता हूँ कि इसको प्रस्तुत करते समय मेरा ध्यान विद्याॢथयों की ओर अधिक रहा है। उन्हीं को दृष्टि में रखकर इसे लिखा है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रहा है कि यह अनुसन्धित्सुओं और प्राध्यापकों के भी समान रूप से काम आ सके। इस प्रकार इसमें अधिक-से-अधिक सामग्री उपस्थित करने का प्रयास किया गया है।
इतिहास-लेखन कला भी है और साहित्य का महत्त्वपूर्ण अंग भी। अकबरनामा, बाबरनामा, जहाँगीरनामा जैसे अनेक ग्रन्थ क्या इतिहास हैं या जीवन-चरित? इस स?बन्ध में मत-मतान्तर होते रहते हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास के सूत्र इतने कम और इतनी अधिक दिशाओं में प्रक्षिप्त हैं कि उनको सुनिश्चित रूप देना सहज नहीं है। सुलभ सामग्री का विवेचन और विश्लेषण कर ही इतिहास का रूप तैयार होता है। इस दिशा में डॉ० परमेश्वरीलाल गुप्त का भगीरथ प्रयास प्रशंसनीय है। 'गुप्त-साम्राज्यÓ का राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास तैयार करने में उन्हें अनेक कठिनाइयों से गुजरना पड़ा है। शोधपरक सामग्री, उत्खनन से प्राप्त सिक्के, टेराकोटा प्रभृति के विश्लेषण से इतिहास का रूप निॢमत होता है। इस ग्रन्थ के लेखक ने सन् 1970 ई० में इसे प्रकाशित कराया था। तब से शोधादि सामग्री तथा मुद्राओं से अनेक ऐसे तथ्य आए जिनसे पुनर्लेखन तथा नई सामग्री का विवेचन-विश्लेषण करना पड़ा। प्रस्तुत ग्रन्थ का द्वितीय संस्करण सन् 1991 ई० में प्रकाशित हुआ था। लेखक का श्रमसाध्य अनुसन्धान तब से जारी रहा है। मुद्रा-शास्त्री होने की वजह से तथा नई-नई सामग्री प्राप्त होने से विषय-वस्तु में परिवर्तन, परिवर्धन और विवेचन करना पड़ा। भारत के प्राचीन इतिहास में 'गुप्त-वंशÓ या 'गुप्त-साम्राज्यÓ उत्कर्षपूर्ण विरासत है। लेखक आजीवन साधक के रूप में इस कार्य में निमग्न रहे हैं। ग्रन्थ के इस तीसरे संस्करण में इतिहास-स?मत आधुनिकतम तथ्यों तथा शोधपूर्ण सामग्री का समावेश किया गया है जिससे विद्याॢथयों को पूर्वापेक्षा नई सामग्री पढऩे को मिलेगी।