Babu Gulabrai Ke Vividh Nibandh / बाबू गुलाबराय के विविध निबन्ध
Author
: Vinod Shanker Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171247677
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xiv + 104 Pages; Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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बाबू गुलाबरायजी का हिन्दी साहित्य जगत् में निबन्धकार और समीक्षक के रूप में विशिष्ट स्थान है। बाबूजी साहित्य और दर्शन के विद्वान थे, अत: उनके निबन्धों में दार्शनिक दृष्टिï और निर्मल ज्ञान की अभिव्यक्ति मिलती हैै। हिन्दी में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के पश्चात् बाबूजी ऐसे निबन्धकार हैं, जिनकी रचनाएँ आज भी प्रचार में हैं। उनका व्यक्तित्व उनके निबन्धों में परिलक्षित होता है। बाबूजी के लगभग सभी लेख उनकी प्रकाशित पुस्तकों में आ चुके थे, फिर भी जब मैंने अब उनके स्वर्गवास के 46 वर्ष बाद उनके लेखों और रचनाओं की पाण्डुलिपियाँ तथा पुरानी फाइलें देखीं, तो पाया कि अभी भी कुछ लेख थे, जो पत्र-पत्रिकाओं में छपे थे तथा कुछ अभिनन्दन-ग्रन्थों में छपे थे या किसी की पुस्तक के लिए लिखे थे, वे बाबूजी के किसी निबन्ध-संग्रह में नहीं हैं। जैसा कि बाबूजी ने लिखा था कि निबन्धों को स्थायित्व देने के लिए उनको पुस्तकाकार किया गया। बस इसी उद्देश्य से बाबूजी के कुछ निबन्धों को प्रस्तुत निबन्ध-संग्रह में स?िमलित कर रहा हूँ। इस संग्रह में कुछ वैयक्तिक निबन्ध हैं, जैसे 'मैं और मेरी कृतियाँÓ 'मेरे बुढ़ापे के पुरुषार्थÓ, 'मेरा नववर्ष-प्रवेशÓ आदि। कुछ संस्मरणात्मक निबन्ध हैं जैसे 'राजॢष के चरित्र की एक झलकÓ, 'रवीन्द्र : एक झलकÓ, 'मेरे बाल्यकाल के अतिरिक्त ज्ञान की एकमात्र साधिकाÓ। इनके अतिरिक्त सांस्कृतिक-साहित्यिक व राजनैतिक निबन्ध संगृहीत किये गये हैं।