Tukaram Gatha / तुकाराम गाथा
Author
: N.V. Sapre
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
Publication Year
: 2011
ISBN
: 9788171247783
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: ii + 236 Pages; Size : Royal Octavo 24.5 x 19 Cm.

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<div align="center"><font size="4" color="993366"><b>तुकाराम गाथा</b></font><br></div><div>मराठी में प्रयुक्त अभंग मराठी पद्यकाव्य में प्राचीन काल से चला आ रहा है। 'ओवी' का ही मालात्मक रूप अभंग के रूप में पहचाना जाने लगा। अपने पूर्ववर्ती संतश्रेष्ठ नामदेव तथा एकनाथ की तरह तुकाराम ने भी विशाल अभंग रचना की। ''तुकाराम का कवित्व काव्यदृष्टि से अत्यन्त महान है। उनके मन की संरचना काव्य के लिए अनुकूल थी। अंत:करण संवेदनशील, अनुभव जीवंत, निरीक्षण सूक्ष्म, बुद्धि सुरुचिपूर्ण, वाणी मधुर और ध्येय की दृष्टि से अनुकूल थी।' अपने कवित्व के सम्बन्ध में तुकाराम कहते हैं—तुका तो अपने मन से बातें करता है। उनके अभंगों में स्वयं से किया गया स्वयं ही का आलाप है। श्री विट्ठल के साथ वे मित्रवत् संवाद करते हैं। वे बड़ी आक्रामक मुद्रा में विट्ठल से लड़ते-झगड़ते हैं, उन्हें भली-बुरी सुनाते हैं, कभी उनसे क्षमा माँगते हैं तो कभी पैरों पड़ते और रोते हैं। परमेश्वर के दर्शन के लिए उनकी व्याकुलता उन्हीं के शब्दों में पढि़ए — ''जैसे कन्या सर्वप्रथम ससुराल जाते समय मायके की ओर देखती है, वैसी ही व्याकुल अवस्था मेरी भी हो गयी है।....हे भगवन्! तू कब दर्शन देगा?'</div>