Krantikari Kavi Nirala / क्रांतिकारी कवि निराला
Author
: Bachchan Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2003
ISBN
: 8171240976
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xvi + 208 Pages, Append., Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.

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यदि हिन्दी के आधुनिक श्रेष्ठ कवियों की एक सूची बनाई जाय तो उसमें पहला नाम निराला का होगा। आधुनिकता की शुरुआत यहीं से होती है। छायावादोत्तर काल की लंबी कालावधि में हिन्दी कविता एक प्रकार से निराला की कविता का कही सघन, कहीं विरल प्रस्तार है। वे पहले कवि हैं जन्होंने कविता को जड़ीभूत छन्द-बंध से मुक्त किया, उसकेचरणों को छन्द-बंध से मुक्त किया, उसके चरणों को स्वच्छन्द गति दी। नये सार्थक मुहावरों का क्या कहना। उन्होंने छन्द को तोड़ा भी और उसे छोड़ा भी नहीं। उनका मुक्त छन्द हिन्दी कविता का अपना छन्द बन गया। उनकी कविताओं में तमाम साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आन्दोलन तथा आलोचनात्मक सिद्धान्त सहज भाव से समाहित है। आलोचकों ने उन्हें वादों के घेरे में घेरने का कम प्रयास नहीं किया, किन्तु उनके घेरे नहींं घिरे। वे प्रगतिवाद हो या जनवाद दोनों उसके कद के सामने बौने हैं। वे प्रयोगवादी नहींं थे, यद्यपि आधुनिक कविता तक में उसके पद-चिह्न अंकित दिखेंगे। वे वाक् सिद्धि कवि तो हैं ही, रस-सिद्ध कवि भी हैं। कभी-कभी एक ही कविता में भाषा की अनेक रंगीन छवियों एक में गुँथी मिलेंगी, कभी-कभी एक ही कविता में कई विरोधी रसों का सामंजस्य परिलक्षित होगा। जन-जीवन के सरोकारों और संघर्षों के बीच उसकी निजी त्रासदियाँ उसकी रचना को वैधानिक या आत्मकथात्मक बना देती हैं। ऐसे अनगढ़ व्यक्तित्व की रचनाओं की परख काव्य के पूर्वनिश्चित सिद्धान्तों से संभव नहींं है। डॉ० बच्चन ङ्क्षसह कुछ जाने-माने आलोचकों में एक विशिष्ट हस्ताक्षर हैं। अपने प्रगितशिील रुझानों के बावजूद उन्होंने निराला को किसी वादग्रस्त अथवा पारंपरिक सिद्धान्तों की कसौटी पर नहीं कसा है। उनकी दृष्टि मुख्यत: विन्यास केन्द्रित है, पर इतिहास बोध समन्वित है। इसीलिए उन्होंने रह-रह कर कविता-गत 'जलती मशालÓ को रेखांकित किया है। वे आलोचना में बहुवचनात्मक (प्लूरालिस्टिक) पक्ष के आग्रही हैं। इस दृष्टि से देखने पर ही निराला के बहु-आयामी काव्य का समग्र आकलन हो सकता है। इस संशोधित संस्करण में उनकी बानकी मिलेगी। निराला की कालजयी कृतियों का मूल्यांकन तथा उसका संशोधन बार-बार होता रहेगा। निराला के प्रति आस्थावान होने पर एक खट्टïी-मीठी तटस्थता मिलेगी। इसी द्वंद्व की फलश्रुति है—क्रांतिकारी कवि निराला।