Yogiraj Vishuddhanand Prasang Tatha Tattva Katha / योगिराज विशुद्धानन्द प्रसंग तथा तत्त्व-कथा
					
					
					Author
						: Gopinath Kaviraj
						Language
						: Hindi
						Book Type
						: General Book
						Category
						: Bio/Auto-Biographies - Spiritual Personalities
						
						Publication Year
						: 2018, 5th Edition
						ISBN
						: 9789351461975
						Binding Type
						: Paper Back
						Bibliography
						: xvi + 200 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
						MRP ₹ 175
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Offer Price ₹ 149
						योगिराज विशुद्धानन्द प्रसंग तथा तत्त्व कथा विज्ञान शब्द का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान और इसी विज्ञान के विषय जड़ तथा चेतन दोनों ही हैं। सूर्य उक्त विज्ञान का केन्द्रस्वरूप और प्रधान आश्रय है। अत: इस विज्ञान को सूर्यविज्ञान भी कहा जाता है। शास्त्र में लिखा है कि एक ऐसा पदार्थ है, जिसका ज्ञान होने से सब विषयों का विज्ञान स्वत: अपने आप ही उपलब्ध हो जाता है। श्रुति का यह अनुशासन ब्रह्मïविज्ञान के सम्बन्ध में कहा गया है किन्तु उस विज्ञान का क्या स्वरूप है, उसको किस प्रकार से कार्य रूप में प्राप्त किया जाता है इस बात का जिन्होंने विशेष रूप से अनुसन्धान किया है, वे जानते हैं कि सूर्य ही एकमात्र सब विज्ञानों का मूलाधार है। सृष्टि, स्थिति, संहार अर्थात् जगत के समस्त व्यवहार सूर्य के अधीन हैं। इच्छा-शक्ति, ज्ञान-शक्ति और क्रिया-शक्ति का प्रसार सूर्य से ही होता है। इतना ही नहीं, देवयान पथ का लक्ष्यस्वरूप सूर्य ही है। उसको यदि मुक्ति का द्वार कहा जाय तो अत्युक्ति न होगी। विशुद्ध आत्मज्ञान अर्थात् स्वरूप उपलब्धि के लिए सौर तत्त्व का आश्रय ग्रहण करना अत्यन्त आवश्यक है अतएव योग का जो चरम उद्देश्य है, वही विज्ञान का भी है। सूक्ष्म दृष्टि से निरीक्षण करने पर जाना जाता है कि विज्ञान भी एक प्रकार का महायोग है, एवं जिसकी हमलोग योग कहते हैं वह भी मूलत: विज्ञान के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। दोनों में केवल प्रणाली का भेद है। अतएव साधन के पक्ष में दोनों ही समानरूप से आवश्यक हैं। योगपथ में विज्ञान और विज्ञानपथ में योग परम सहायक है। ज्ञान, विज्ञान, सूर्य-विज्ञान तथा योग के गूढ़ रहस्यों का बोध कराती तत्त्व कथा।
अनुक्रम 
प्रथम भाग 
योगिराज श्री विशुद्धानन्द चरित कथा
भूमिका 
1. बालक भोलानाथ
2. कुत्ते का काटना और अलौकिक साधु से भेंट
3. भैरवी माता से भेंट 
4. ज्ञानगंज की साधना
5. सन्यासी भोलानाथ और योग विभूति के चमत्कार
6. योग-ज्योतिष द्वारा चिकित्सा
7. बाबा की दिनचर्या
8. गुष्करा निवास
9. बाणङ्क्षलग की स्थापना
10. प्रकृत ब्राह्मïण
11. विशुद्धाश्रमों की स्थापना
12. ज्ञान और विज्ञान
13. श्वास-प्रश्वास में पद्मगन्ध
14. सूर्य विज्ञान का रहस्य
द्वितीय भाग 
योगिराज विशुद्धानन्द प्रसंग तत्त्व-कथा
भूमिका
1. तत्त्वज्ञान 
2. मनुष्य क्या चाहता है
3. पुरुषार्थ के साधन
4. साधना का मूल—महापुरुषाश्रय
5. गुरु-तत्त्व
6. दीक्षातत्त्व-मन्त्र व देवता
7. साधना-जीवन का विश्वास और विचार 
8. स्वरूपोपलब्धि के पथ पर—पूर्वस्मृति
9. स्वरूप-सिद्धि—ज्ञान, विज्ञान और विभूति
10. आत्मसमर्पण—संन्यास
11. नित्य लीला
उपसंहार।